मरीज बनकर कोल्ड ओपीडी पहुंचे ऊर्जा मंत्री, नहीं मिले डॉक्टर, कलेक्टर को फोन कर जताई नाराजी

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने 24 घंटे खुलने वाली कोल्ड ओपीडी (Cold OPD) की पोल खोल दी है।  प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) देर रात अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल समूह परिसर में स्थित कोरोना की कोल्ड ओपीडी में मरीज बनकर पहुँच गए। उन्होंने जब वहां डॉक्टर्स की तलाश की तो कोई नहीं मिला। कोल्ड ओपीडी में केवल ऑपरेटर,टेक्नीशियन और गार्ड ही मौजूद थे। व्यवस्थाएं देखकर ऊर्जा मंत्री नाराज हुए और उन्होंने वहीं से कलेक्टर को फोन कर नाराजी जताई।

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मध्यप्रदेश में कोरोना की रफ़्तार तेज हो चुकी है ग्वालियर में भी पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी कलेक्टर्स को सख्ती के निर्देश दिए हैं।  ग्वालियर में भी कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को हर समय मुस्तैद रहने, मरीजों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं।  कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी लगातार जयारोग्य अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं बावजूद इसके डॉक्टर्स कोरोना को लेकर उतने गंभीर नहीं है जितना उन्हें होना चाहिए।

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डॉक्टर कोरोना मरीजों के लिए कितने गंभीर है इसकी पोल शनिवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने खोल दी। वे जयारोग्य अस्पताल समूह परिसर में माधव डिस्पेंसरी के सामने बनी कोरोना की कोल्ड ओपीडी पहुँच गए,  डॉक्टर की तलाशह की तो वे नदारद थे, 24 घंटे की कोल्ड ओपीडी में केवल ऑपरेटर, टेक्नीकल स्टाफ और गार्ड मौजूद थे।  अव्यवस्थाएं देखकर मंत्रीप्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने नाराजगी जताई। उन्होंने कोल्ड ओपीडी (Cold OPD) से ही कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को फोन लगाया और अव्यवस्थाओं पर नाराजी जताई। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने कहा कि मैं ही मरीज हूँ, मुझे बुखार है, अब जब  यहाँ स्टाफ ही नहीं होगा तो कैसे मेरी जाँच होगी।  उन्होंने कहा कि मुझे यहाँ व्यवस्थाएं ठीक चाहिए।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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