इंडिया का ब्यूटी परचम, हरनाज कौर संधू बनी मिस यूनिवर्स

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। भारत की हरनाज कौर संधू (Harnaaz kaur sandhu) मिस यूनिवर्स चुनी गई है। लारा दत्ता के मिस यूनिवर्स (Miss Universe) चुने जाने के 21 साल बाद किसी भारतीय को यह खिताब मिला है। वर्ष 2000 में लारा दत्ता मिस यूनिवर्स चुनी गई थी। इजराइल के शहर इलात में हुए मिस यूनिवर्स खिताब को भारत की बेटी हरनाज कौर संधू (Harnaaz kaur sandhu) ने अपने नाम कर लिया है। इस प्रतियोगिता मे हरनाज कौर संधू पहले स्थान पर रहीं वही मिस पराग्वे (Miss Paraguay) दूसरे नंबर पर रहीं तीसरा स्थान मिस साउथ अफ्रीका (Miss South Africa) के नाम रहा ।

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हरनाज पेशे से एक मॉडल है और चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। उन्होंने चंडीगढ़ के शिवालिक पब्लिक स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की और लंबे समय से इसके लिए तैयारी कर रही थी। हरनाज इसके पहले लिवा मिस दिवा यूनिवर्स भी जीत चुकी है और फेमिना मिस इंडिया 2019 के ग्रैंड फिनाले में 2019 में पहुंच चुकी हैं। हरनाज का परिवार वैसे गुरदासपुर का रहने वाला है लेकिन अब मोहाली में रहता है। हरनाज इस समय चंडीगढ के पोस्ट ग्रैजुएट गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज की स्टूडेंट है।

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हरनाज अपनी शानदार फिटनेस के लिए भी जानी जाती हैं और इसके लिए वे योग को बहुत ज्यादा महत्व देती हैं। हरनाज इससे पहले 2017 में मिस चंडीगढ़ का खिताब अपने नाम कर चुकी है और 2018 में मिस मैक्सिमाइजिंग स्टार इंडिया 2018 से नवाजी जा चुकी है। मिस इंडिया 2019 में वे टॉप 12 में स्थान बनाने में सफल रही थी


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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