भोपाल।
देशभर में कोरोना के फैलते संक्रमण के बीच अन्य राज्यों से मजदूरों एवं छात्रों का पलायन देश एवं राज्य सरकारों के लिए संकट का विषय बना हुआ है। केंद्र एवं राज्य सरकारें अपनी तरफ से कोशिश कर रही हैं बावजूद इसके यह पलायन थम नहीं पा रहे। जिसको लेकर आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि अपने शहर से बाहर रह रहे मजदूर और छात्र को जीवन की बुनियादी सुविधाएं सुविधाएं नहीं मिल पा रही है और ना ही उन्हें कोई भरोसा दिलाने वाला है जिससे उनके मन में स्वाभाविक है और इसलिए वह उन राज्यों से पलायन कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से यह अपील की है कि उन छात्रों एवं मजदूरों को भी भरोसा दिलाया जाए उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम किया जाए और जो लोग इस से ग्रसित नहीं दिखते हैं स्पेशल ट्रेन के जरिए उन लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जाए। साथ ही उन्हें 3 माह के राशन के साथ 7500 रुपए प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाए।
अपने लिखे पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा है कि कोरोना की महामारी से निपटने के लिए वह सरकार के साथ हैं किंतु विभिन्न राज्य से पलायन करने वाले मजदूरों एवं छात्रों के सामने इस वक्त भीषण संकट खड़ा हो चुका है। जिससे जहां वह रह रहे हैं उन राज्यों में उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जिसकी वजह से लाखों मजदूर और छात्र अपने घरों तक सैकड़ों मील पैदल चलकर पहुंच रहे हैं। उनके पास खाने-पीने के कोई साधन नहीं है। इसलिए उन्होंने पीएम मोदी से अपील की है कि केंद्र सरकार तत्काल राज्य सरकारों से समन्वय स्थापित कर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी मजदूरों एवं छात्रों के लिए खाने एवं रहने की तत्काल व्यवस्था करें। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रहने व खाने का प्रबंध किया जाए और इस काम में सामाजिक संस्थाओं की मदद ली जाए। पीएम मोदी से अनुरोध करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जगह पर छात्र एवं मजदूर परिवारों का स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की जाए और जिन्हें कोई बीमारी नहीं है उन्हें अपने-अपने घर तक पहुंचने में मदद की जाए। विशेष ट्रेन के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जाए जिसके व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य एवं केंद्र सरकार मिलकर करें। और साथ ही अपने घर जाने वाले लोगों के लिए 3 माह का राशन और 7500 रुपए प्रति माह के हिसाब से 2 माह की आर्थिक मदद की जाए। वहीं एक सक्रिय नियंत्रण केंद्र की व्यवस्था हर राज्य में खाद्य सुरक्षा, भुखमरी और पलायन के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए भी की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश इस आपातकाल से लड़ने के लिए तैयार नहीं था किंतु हम मजदूरों एवं बेसहारा छात्रों को ऐसे नहीं छोड़ सकते। हमें इनकी मदद के लिए आगे आना होगा।
गौरतलब हो कि 21 दिन के पूर्ण लाख डाउन के बाद विभिन्न राज्यों से मजदूर एवं छात्र अपने घर के लिए पलायन कर रहे हैं। जहां मध्य प्रदेश के लिए दिल्ली से पैदल निकले कुछ मजदूरों की रास्ते में ही उपयुक्त संसाधन ना मिलने की वजह से मौत हो चुकी है।