इटारसी, राहुल अग्रवाल। संयुक्त संघर्ष मोर्चा मध्यप्रदेश(United struggle front Madhya Pradesh) मंडी बोर्ड के आह्वान पर इटारसी मंडी के 40 कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरने पर डटे हुए थे । इनकी मुख्य मांग मंडी व बोर्ड कर्मचारियों(Mandi employees) को संचालक कृषि विपणन में शामिल करने की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) ने इस पर आश्वासन दिया है किंतु संचालक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी गई। मोर्चा ने मुख्यमंत्री(Shivraj Singh Chauhan) को 11 सूत्रीय मुद्दों पर एक पत्र भेजा था। जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा उपचुनाव के बाद सभी मांगो को पूरा करने का आश्वासन दिया।
राज्य शासन ने मंडी बोर्ड व समितियों को कोई अनुदान आर्थिक सहयोग नहीं दिया। उल्टे मंडी बोर्ड ने प्रशासन को विभिन्न योजनाओं के लिए राशि उधार दी। यह राशि ब्याज सहित 1248.64 करोड़ से अधिक है। जो वापस नहीं की गई है। मंडी से बाहर उपज के क्रय विक्रय पर मंडी शुल्क पर पूरी छूट के कारण 190 मंडियों में आवक 5 माह में ही काफी कम हो गई है। आगामी माह में धान में दी गई मंडी छूट एवं प्लांटों द्वारा सोयाबीन की सीधी खरीदी से मंडियों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होगी।
वर्तमान में प्रदेश की 190 मंडियों में आय और आवक नहीं के बराबर हो गई है। कर्मचारियों का वेतन भुगतान होने में परेशानी हो रही है। मोर्चा इटारसी इकाई के उपाध्यक्ष रमेश राजपूत ने बताया इटारसी मंडी में कामकाज पूरी तरह बंद है। सरकार ने वेतन भत्ते एवं पेंशन की व्यवस्था नहीं की है। प्रदेश की 259 मंडियां, 298 उप मंडियां, 13 तकनीकी कार्यालय, 7 आंचलिक कार्यालय एवं मंडी बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी कर्मचारी क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर चुके थे। इसके बाद अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की तैयारी की पर मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म कर दी गई है।