मंत्री तुलसी सिलावट की दरियादिली, दुर्घटना ग्रस्त शख्स को अपने फॉलो वाहन से पहुंचाया अस्पताल

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। सड़क हादसे (Road Accident) के बाद यदि कोई भी व्यक्ति घायल (Injured) हो जाये और उसे सही समय पर मदद न मिले तो कई बार हालात गंभीर हो जाती है और घायल की जान पर बन आती है। ऐसे में सही समय पर मदद का हाथ बढ़ाने वाला ईश्वर तुल्य माना जाता है। एक ऐसा ही सड़क हादसा (Road Accident) का केस इंदौर के समीप क्षिप्रा बरलई ब्रिज के पास रविवार रात को सामने आया। जहां एक युवक सड़क हादसे का शिकार हो गया और उसे तड़पता देख मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (Minister Tulsi Silawat) ने अपना काफिला रुकवा दिया और फिर उसकी मदद की।

मंत्री तुलसी सिलावट (Minister Tulsi Silawat)  ने युवक को अपने ही फॉलो वाहन (Follow vehicle) से अस्पताल पहुंचाया। जिसके बाद युवक का इलाज अस्पताल में शुरु हो सका। ये सबकुछ रविवार रात लगभग 9 बजे हुआ, जब मंत्री तुलसी सिलावट सांवेर विधानसभा के दौरे से अपने घर इंदौर के जानकी नगर लौट रहे थे। उसी दौरान शिप्रा बरलई ब्रिज के पास एक युवक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। युवक की हालत देखकर मंत्री तुलसी सिलावट ने अपना काफिला रूकवाया और युवक को फॉलो वाहन के जरिए अस्पताल पहुंचवाया।

इस दौरान मंत्री तुलसी सिलावट ने घायल को उठाते हुए वाहन का गेट भी खुद ही खोला और उसे अंदर बिठाने में मदद की। इतना ही नही मंत्री तुलसी सिलावट घर पहुंचने के बाद भी  फोन के जरिये युवक के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहे। वही इस मामले की जानकारी जब शहरवासियों को लगी तो सभी ने मंत्री सिलावट के द्वारा बढ़ाए गए मदद के हाथ और सह्रदयता की तारीफ कर उन्हें शुभकामनाएं दी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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