शिवपुरी/भोपाल, डेस्क रिपोर्ट एक तरफ मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में शिवराज सरकार (shivraj government) भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार की नाक के नीचे भ्रष्टाचार और घोटाले के नए मामले सामने आ रहे हैं। दरअसल नया मामला सीवर प्रोजेक्ट में घोटाले को लेकर सामने आए। जहां लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी ने ठेकेदार कंपनी को फर्जी तरीके से 1 करोड़ से अधिक रुपए का फायदा दिलाया है। इसका सीधा सीधा नुकसान राज्य शासन को हुआ है। इसके बाद पीएचई (PHE) के कार्यपालन यंत्री एसएल बाथम (SL Batham) सहित चार अन्य अधिकारियों और ठेकेदार कंपनी पर लोकायुक्त ने एफआईआर दर्ज की है।
मामला 2018 का है। जहां फर्जी तरीके से ठेकेदार कंपनी मैसर्स जैन एंड रॉय को पीएचई के अधिकारियों ने एक करोड़ 12 लाख रुपए का फायदा पहुंचाया है। इस मामले में लोकायुक्त की टीम ने पीएचई के कार्यपालन यंत्री एसएल बाथम, तत्कालीन सहायक यंत्री केजी सक्सेना, उपयंत्री एमजी गॉड और उपयंत्री डीपी सिंह सहित ठेकेदार कंपनी पर मामला दर्ज किया है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 आईपीसी की धारा 120बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत दर्ज की गई है।
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पीएचई के अधिकारियों ने क्रियान्वयन एजेंसी के साथ मिलकर जमीन का कंपनसेशन किया। सड़क की लंबाई के बिना पुख्ता प्रमाण के शहर में फर्जी सड़क बनाई गई और इस मामले में ठेकेदार कंपनी को भुगतान कर दिया गया। जिसके बदले लोकायुक्त ने जांच में इन सभी आरोपों को प्रमाणित पाया और इससे संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया है। वहीं इस मामले में पीएचई के कार्यपालन यंत्री एसएल बाथम का कहना है कि अभी आरोप साबित नहीं हुए हैं और इसके साथ ही हमारा पक्ष भी नहीं सुना दिया है। उन्होंने कहा है कि मामले की अच्छे से जांच पड़ताल होने के बाद सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
बता दें कि शक्तिपुरम खुड़ा निवासी अशफाक खान की शिकायत के मुताबिक सीजर प्रोजेक्ट की डीपीआर में नगर पालिका की सड़कों को सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदा जाना था। वही नगर पालिका को इन पर सीसी रोड भी डालना था। जबकि पीएचई के अधिकारियों ने कंपनी के साथ मिलकर ना तो 47 डब्ल्यूबीएम रोड का निर्माण किया और इसके बिना ही सड़क नगर पालिका को सौंप दी गई। इसके साथ ही इन सड़कों का भौतिक सत्यापन भी कर दिया गया था। जिसके बाद कंपनी को एक करोड़ 12 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया था। लोकायुक्त ने इस मामले में 13 नवंबर को एफआईआर दर्ज की थी लेकिन इसकी जानकारी छिपा ली गई थी।