भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश में एक बार फिर से स्वतंत्र सरकारी तेल कंपनियों (Government oil companies) द्वारा पेट्रोल (petrol) के दाम बढ़ाए जा सकते हैं दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल $70 प्रति बैरल (barrel) पहुंचने की करीब है। हालांकि मध्यप्रदेश में पेट्रोल डीजल के दामों की बात करें तो 6 दिन से लगातार शांति बनी हुई है। गुरुवार को भी ओपेक (OPEC+) देशों की बैठक में क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगाई गई। जिसके बाद माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल में कुछ दिन तक स्थिरता देखी जा सकती है।
हालांकि देश की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल मध्यप्रदेश और राजस्थान में बिक रहा है। मध्य प्रदेश में 26 फरवरी को अचानक पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी देखी गई थी। जिसके बाद से 5 मार्च तक पेट्रोल की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है। राजधानी भोपाल में पेट्रोल की कीमत 99.2 रुपए प्रति लीटर है। वहीं प्रदेश में तेल की एवरेज प्राइस की बात करें तो इनमें देश में सबसे आगे मध्य प्रदेश है।
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मध्य प्रदेश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत पर चली गई है। जिसमें रीवा, अनूपपुर सबसे आगे है। वहीं मध्य प्रदेश में 33% वैट की वसूली की जा रही है। जिसके साथ ही प्रदेश सरकार ने 2019-20 में पेट्रोल पर वैट के जरिए 10,720 करोड़ की कमाई की थी। वही 2020-21 के दिसंबर तक 8000 करोड़ की कमाई हुई थी। बता दे कि प्रदेश में पेट्रोल डीजल में 16 बार देखने को मिली थी। वही तीन मार्च तक 26 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल रिकॉर्ड किया गया था।
गौरतलब हो कि से पहले देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर एक्साइज ड्यूटी को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman) द्वारा कहा गया था कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार को बैठ कर बात करनी होगी। इतना ही नहीं निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा था कि एक्साइज ड्यूटी (excise duty) जितना भी केंद्र सरकार लगाती है। उसका 41 प्रतिशत राज्य के खाते में जाता है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए कहीं ना कहीं राज्य सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स भी शामिल रहते हैं।