MP News : अब सहकारी समितियां घरेलू खर्च और अन्य बड़े कामों के लिए देंगी कर्ज

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश के ग्रामीण क्षेत्रों (Rural areas) में निवास करने वाले गरीब वर्ग के लोग घर के बड़े कामों में जैसे शादी-ब्याह (Marriage) के लिए साहूकारों (Moneylenders) से मोटी ब्याजदर (Rate of interest) पर रुपए लेते हैं। जो लंबे समय से चली आ रही है। अब इसे हम परंपरा कहे या फिर मजबूरी। लेकिन गरीब वर्ग (Poor class) को घर के बड़े कामों के लिए परेशानी होती ही है। इन्ही समस्याओं को दूर करने के लिए शिवराज सरकार ने नया रास्ता अपनाया है। जिसके तहत अब किसानों की आर्थिक जरूरत (Economic need of farmers) को पूरा करने के लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है। अब मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में घरेलू खर्च (household expenditure) और शादी के लिए सहकारी समितियां (Co-operative societies) कर्ज देंगी। जिसका ब्याज दर भी काफी कम होगा।

अब साहूकारों से मोटी ब्याज पर नहीं लेना पड़ेगा रुपए

अब भी ग्रामीण इलाकों में घरेलू खर्च, फिर शादी-ब्याह जैसे बड़े कामों के लिए गरीब वर्ग व किसानों को गांव में निवास करने वाले बड़े-बड़े साहूकारों (Moneylenders) से अपनी चीजें गिरवी (Mortgage) रखवा कर पैसे लेना पड़ता था। जिसे शिवराज सरकार (Shivraj government) ने बदलने का फैसला किया है। और इनपर सख्ती से रोक लगाने के लिए अधिनियम में संशोधन कर दिया था। इसके बावजूद समस्या वहीं की वहीं थी। जिसे सुलझाते हुए नया रास्ता अपनाया जा रहा है। जिसके तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली सहकारी समितियां (Co-operative societies) लोगों को कर्ज (loan) देंगी। जिससे उनका काम आसान हो जाएगा।

4 हजार सहकारी समितियां देंगी कर्ज

शिवराज सरकार (Shivraj government) में 4 हजार से अधिक सहकारी संस्थाओं (Co-operative societies) का चयन किया है, जो किसानों को घरेलू खर्च, शादी-ब्याह और घर के बड़े कामों के लिए भी कर्ज (loan) देंगी। बता दें कि इसका फायदा उन्हें ही मिल पाएगा, जो नियमित रूप से कर्ज (loan) को चुका सकेगा। इस राशि के लिए ब्याज की दर भी उतनी ही रहेगी जितना समिति द्वारा चुकाया जाएगा।

विभागीय समीक्षा बैठक में लिया गया निर्णय

जानकारी के अनुसार सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया (Cooperative Minister Arvind Singh Bhadoria) की अध्यक्षता में विभागीय समीक्षा बैठक (Review meeting) का आयोजन किया गया था। इसी बैठक में प्रस्ताव पर निर्णय लिया गया है। इस संबंध में संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर (Joint Registrar Arvind Singh Sengar) ने कहा कि सहकारी बैंकों (Co-operative banks) में इसकी शुरुआत नए वित्तीय वर्ष (New financial year) से होगी।

बता दें कि किसानों को सहकारी समितियों (Co-operative societies) द्वारा 0% पर ब्याज दिया जाता है। जिसकी लागत केवल 11 फ़ीसदी होती है। जिनमें से 5 फ़ीसदी ब्याज केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है, तो वहीं बाकी के 6% ब्याज का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। जिसके साथ बैंकों को ब्याज अनुदान दिया जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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