भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में एक मामले में अब शिवराज सरकार (shivraj government) के दो मंत्रियों के बीच में ठन गई है। दरअसल प्रदेश में पंचायतों के ऑडिट (panchayat audit) के लिए इस बार 26 से 40 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जबकि पिछली बार पंचायतों के ऑडिट का काम सिर्फ एक करोड़ 81 लाख रुपए में हुआ था। वहीं इस मामले में वित्त विभाग (finance department) ने ग्रामीण विकास विभाग को दूसरी बार आपत्ति जताई है।
दरअसल मध्यप्रदेश में इस बार ऑडिट पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग क्लस्टर व्यवस्था के तहत कराना चाहते हैं। इसके लिए टेंडर जारी किया गया है। वहीं प्रदेश में पंचायतों के ऑडिट के लिए 26 से 40 करोड रुपए लगने की उम्मीद जताई गई है। इस मामले में अब वित्त विभाग ने आपत्ति जताते हुए पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया (mahendra singh sisodiya) को अनावश्यक खर्च से बचने की सलाह दी है।
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बता दें कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा (jagdish devda) ने पत्र लिख पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को कहा है कि सोच समझ कर फैसला ले। इस मामले में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र लिखा गया है। हम ने सुझाव दिया है कि कलस्टर ऑडिट व्यवस्था के बारे में सोच समझ कर फैसला लेंगे। देवड़ा ने कहा कि जब कोई काम कम राशि में अच्छे तरीके से पूरा हो रहा है तो ज्यादा खर्च करने वाली व्यवस्था को अपनाना उचित नहीं है। वहीं उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस मामले में सिसोदिया उचित निर्णय लेंगे।
बता दें कि इससे पहले प्रदेश में क्लस्टर बार ऑडिट व्यवस्था 2015-16 में अपनाई गई थी। जिसे 2016-17 में भी जारी रखा गया था। हालांकि गड़बड़ी के उजागर होने के बाद कलस्टर व्यवस्था को 17-18 में खत्म करके जिलावार ऑडिट व्यवस्था लागू की गई थी। वही कलस्टर ऑडिट व्यवस्था में 22 करोड़ रूपए का खर्च सामने आया था। जबकि यह खर्च जिलावार ऑडिट व्यवस्था में घटकर ढ़ाई करोड़ रूपए रह गया था।