भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। तीन कृषि कानूनों (Agricultural laws) को वापस लेने की मांग को लेकर जारी किसान आंदोलन (Former Protest) को लेकर भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan)ये दावा करें कि मध्यप्रदेश के किसान कृषि कानूनों से संतुष्ट हैं लेकिन आज सरकार के एक मुलाजिम ने मुख्यमंत्री की बात का ऐसा जवाब दिया है जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की होगी। एक नायब तहसीलदार (Naib Tehsildar) ने किसान आंदोलन के समर्थन में कलेक्टर के माध्यम से प्रमुख सचिव को अपना अनिवार्य सेवानिवृति का आवेदन भेजा है। आवेदन में नायब तहसीलदार ने कहा कि मैं सरकार की किसान विरोधी नीतियों से आहत हूँ।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की तहसील नौरोजाबाद के नायब तहसीलदार मुनेश्वर प्रसाद विराट ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए जिले के कलेक्टर के माध्यम से प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए अपना आवेदन भेजा है। पत्र में विराट ने कहा कि देश के किसानों की समस्या का निराकरण शासन स्तर से नहीं हो पाने के कारण किसान अपनी समस्या का निराकरण कराने के लिये दिल्ली सहित अन्य राज्यों में आंदोलन करने पर मजबूर हैं। जिनके साथ सरकार बेरहमी और बर्बरतापूर्ण व्यवहार कर रही है जो मानवीय रूप से असहनीय होकर नैतिक रूप से आहत करने वाला है। केंद्र सरकार की वर्तमान में लाई जा रही किसान विरोधी नीतियों जिसमें किसानों एवं गरीबों का शोषण एवं पूंजीपतियों का पोषण संबंधी नीतियाँ बनाई जाकर तानाशाही रवैया अपनाते हुए लागू की जा रही है। जिससे संपूर्ण देश के किसानों एवं गरीब आत्म हत्या कर रहे हैं। शासन की गरीब और किसान विरोधी नीतियों से मैं आहत हूँ और आत्म ग्लानि महसूस करता हूँ। जिसके कारण में शासन की इन नीतियों के विरोध में एवं किसान आंदोलन के समर्थन में अपने पद से अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेना चाहता हूँ।
खास बात ये है कि नायब तहसीलदार मुनेश्वर प्रसाद विराट ने पत्र के साथ एक डीडी भी भेजा है जिसमें उन्होंने अपना एक महीने का वेतन 52,074 रुपए भेजे हैं। नायब तहसीलदार का ये आवेदन उमरिया सहित पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। आवेदन मंगलवार 8 दिसंबर को दिया गया है हालांकि इस पर क्या फैसला होगा ये कहना फिल्हाल मुश्किल है लेकिन किसान आंदोलन के समर्थन में एक सरकारी मुलाजिम का यूँ अपना पद छोड़ने का आवेदन देना बहुत से सवालों को जन्म जरूर देता है।