भोपाल।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चल रहा कोल्ड वार अब थम गया है ।सूत्रों की मानें तो अब दोनों के बीच कोई तनातनी नहीं है। इन दोनों के बीच संबंध सामान्य करने में बड़ी भूमिका मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने निभाई है।
बावरिया ने जहां एक ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह समझाया है कि कांग्रेस में उनका महत्व जितना विधानसभा चुनाव के पहले था उतना अभी भी है और सही समय पर उन्हें सही जिम्मेदारी सौंपी जाएगी वहीं दूसरी ओर उन्हें यह भरोसा भी दिलाया है कि कमलनाथ की ओर से उनके प्रति किसी भी तरह का कोई दुराग्रह या अपमान का भाव नहीं है।
दरअसल पूरे मामले की शुरुआत दस दिन पहले सिंधिया के एक भाषण से हुई थी जो उन्होंने सार्वजनिक सभा में अतिथि शिक्षकों के सामने दिया था और उनकी समस्याओं का समाधान ना होने पर सड़क पर उतर कर उनकी ढाल व तलवार बनने की बात कही थी ।मामले में जब तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री कमलनाथ भी कह गए कि यदि सिंधिया सड़क पर उतरने की बात करते हैं तो फिर उतर जाएं। अपने स्वभाव के विपरीत दिए गए कमलनाथ के इस बयान कई राजनीतिक मायने निकाले गए कि दोनों के बीच अब तनातनी इस हद तक बढ़ चुकी है कि अब संबंध सामान्य होना मुश्किल है। लेकिन दीपक बावरिया ने बड़ी समझदारी के साथ दोनों बड़े नेताओं के बीच सामंजस्य बिठाने का काम किया और उन्होंने भी बयान देकर कहा कि नेताओं को सड़क पर उतर कर ही जनता की समस्याओं का समाधान हो सकता है ।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अब जल्द ही सिंधिया को कोई बड़ी जिम्मेदारी कांग्रेस में सौंपी जा सकती है।फिलहाल प्रदेश कान्ग्रेस मे कमलनाथ-सिन्धिया मामले का पटाक्षेप हो गया,ऐसा लगता है।