नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। NSE Scam: एनएसई घोटाले में सीबीआई (CBI) ने बड़ी कार्रवाई की है।सीबीआई ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) के पूर्व एमडी और चित्रा रामकृष्ण के सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम को चेन्नई से देर रात गिरफ्तार किया है।सीबीआई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में कई गड़बड़ियों का पता चला है। आरोप है कि आनंद ना सिर्फ एनएसई के कामकाज में अपनी राय देते थे बल्कि पूर्व सीईओ भी उनके इशारे पर काम किया करती थीं।
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आनंद सुब्रमण्यम एनएसई के पू्र्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर थे। आनंद को अब दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय ले जाने की तैयारी है, जिसके बाद हिरासत के लिए उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो CBI ने चित्रा के अलावा कथित रूप से ‘योगी’ के निर्देश पर नौकरी पर रखे गये NIA के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग अधिकारी आनंद सुब्रमणियम और पूर्व CEO रवि नारायण के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया है।माना जा रहा है कि चित्रा द्वारा हिमालय के जिस योगी से सलाह लेने की बात सामने आई थी, वह सुब्रमण्यम ही थे।फिलहाल मामले में पूछताछ की जा रही है, जल्द ही इसके कई बड़े राज सामने आ सकते है।
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वर्ष 2014–15 में SEBI को शिकायत मिली थी कि कुछ दलालों और एक्सचेंज के प्रमुख अधिकारियों के बीच सांठ गांठ कर NSE की Co -location फैसिलिटी में छेड़ छाड़ की जा रही है। गड़बड़ी की जानकारी देते हुए बताया गया कि एनएसई द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे टिक बाय टिक (Tick by Tick) सर्वर प्रोटोकॉल का उपयोग कर कुछ उपभोक्ताओं को अनुचित लाभ दिया जा रहा है। आमतौर पर सर्वर द्वारा भेजे गया डाटा नियमों के तहत सभी उपभोक्ताओं तक एक साथ पहुंचाया जाता है, लेकिन टीबीटी का इस्तेमाल कर इसे एक अनुक्रम में भेजा जा सकता है, जिसके चलते कुछ लोगों तक डाटा बाकि लोगों के मुकाबले थोड़ा जल्दी पहुंचेगा।
इसी का इस्तेमाल कर वर्ष 2012 से 2014 के बीच OPG सिक्योरिटी नामक कंपनी को अनुचित लाभ दिया गया, जिसके चलते यह सर्वर में न केवल बाकि लोगों से पहले log in कर सकते थे बल्कि पूरा डाटा बाकियों से पहले देख सकते थे। इस सब के चलते सीबीआई ने फरवरी 19 को एक्सचेंज के पूर्व डायरेक्टर रवि नारायण से पूछताछ की। इसकी अलावा सेबी ने भी रामकृष्ण को सुब्रमणिम की नियुक्ति के वक्त उपयुक्त नियमों का उलंघन करने के चलते दंडित किया है।
Co-location facility क्या है?
Co-location facility एक सुविधा है जिसमे कंपनिया उचित दामों पर नेटवर्क सेवाएं प्राप्त करती हैं। यह फैसिलिटी एक डाटा सेंटर के रूप में काम कर कंपनियों को बैंडविथ (bandwidht) के साथ उपकरण भी किराए पर देती हैं। इस फैसिलिटी की मदद से बहुत कम लागत लगाकर कंपनी अपने लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर किराए पर प्रपात कर सकती हैं जिसमें ना तो खुद की संचार प्रणाली बनाने की जरूरत रहेगी और ना ही ढेर सारी लागत लगाने की।