प्लाज्मा कांड: शिकायतकर्ता नहीं FIR में पुलिस बनी फरियादी, उठने लगी CBI जांच की मांग

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। नकली प्लाज्मा ( Fake Plasma) चढ़ाने से हुई एक व्यक्ति की मौत के बाद उजागर हुई खून (Blood)और प्लाज्मा (Plasma) दलालों की गैंग के सरगना सहित अन्य सक्रिय सदस्यों को तो पुलिस (Police) ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन पुलिस ने जो मामले की FIR दर्ज की है उसपर सवाल उठ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि पड़ाव थाना पुलिस ने जो FIR दर्ज की है उसमें शिकायतकर्ता को फरियादी न बनाते हुए थाना प्रभारी को फरियादी बनाया गया है। शिकायतकर्ता ने इसपर आपत्ति जताते हुए अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) को बचाने की साजिश के आरोप लगाए हैं। और मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है इसकी प्रति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित मध्यप्रदेश के राज्यपाल, गृह मंत्री और वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को भेजी है।

दतिया के कारोबारी मनोज गुप्ता (Manoj Gupta )  की कोरोना संक्रमित (Corona Infected)होने के बाद अपोलो अस्पताल में प्लाज्मा चढ़ाने के बाद हुई मौत ने जिला प्रशासन के हाथ एक ऐसा गिरोह लग गया जो कोरोना मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर मोटी रकम लेकर उन्हें नकली प्लाज्मा थमा रहे थे। मनोज के परिजन नरेश कुमार गुप्ता भी इस गिरोह के चंगुल में आ गए और उन्होंने 18,000 रुपये में प्लाज्मा खरीदकर अपोलो अस्पताल में भर्ती मनोज गुप्ता को चढवा दिया। प्लाज्मा चढने के बाद मनोज की तबियत और खराब हो गई और उनकी मौत हो गई।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....