सरवानिया महाराज का मरघट पर्यावरण संरक्षण के साथ बन गया रमणीय स्थल

नीमच।रामेश्वर नागदा| जिला मुख्यालय से महज सत्रह किलोमीटर दूर स्थित सरवानिया महाराज के नीमच सिंगोली रोड़ के समीप धामनिया लासूर चोराहे पर बना शमशान घाट पर्यावरण संरक्षण और वास्तु शास्त्र का बैजोड़ उदाहरण हैं। वास्तु अनुसार ईसान मे जल कुंड , अग्नि कोण में शवदाह स्थल , नैऋत्य कोण को उंचा रख , उसके समीप मुख्य द्वार , वायु कोण खुला होकर कुछ दुरी पर काल भैरव मंदिर स्थित हैं। यह सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से किये गए हैं। जिले के लोगों के लिए गस मरघट की मुक्ति धाम सेवा समिति मौरल है।
जीवन में यदि कुछ कर गुजरने की लालसा हो तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है। यही कार्य किया है सरवानिया महाराज के श्री काल भैरव मुक्तिधाम सेवा समिति ने । वैसे तो मुक्तिधाम का नाम सुनते ही मन में हमेशा नकारात्मक विचार आते हैं लेकिन सरवानिया महाराज का श्री काल भैरव मुक्तिधाम को देखकर हर किसी के मन से नकारात्मक विचार छूमंतर हो जाते है। क्योंकि इस मुक्तिधाम को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि यह एक श्मशान है और यहां पर मुर्दों को जलाया जाता है। विकास के कार्य यहां लगातार जारी है।

पर्यावरण हरियाली और फूलदार पोधे


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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