स्कूल ट्यूशन फीस: अभिभावकों ने कहा नो स्कूल, नो फीस, कोर्ट ने कहा- सर्व हित में रखें पक्ष

Kashish Trivedi
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जबलपुर हाईकोर्ट

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश(madhyapradesh) में स्कूल ट्यूशन फीस(school tuition fee) को लेकर अभिभावकों(parents) और स्कूल प्रबंधन के बीच हंगामा मचा हुआ है। जिस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट(highcourt) की सुनवाई के दौरान दोनों के बीच मध्यस्थता करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुझाव रखने की बात कही थी। कोर्ट का कहना था कि ऐसा प्रस्ताव रखा जाए। जिससे इस स्कूल शिक्षा से जुड़े सभी हितग्राहियों का हित सुरक्षित रह सकें।हाईकोर्ट में कल इस मामले की सुनवाई है।

दरअसल मंगलवार को हाईकोर्ट में अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को अपना अपना पक्ष रखना है। जहां एक तरफ स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्कूल शुरू होने के बाद ही अन्य फीस पर निर्णय होगा। फिलहाल स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस(school tuition fee) की मांग करें। वहीं अभिभावकों का तर्क है कि जब तक स्कूल में कक्षा नहीं शुरु होती तब तक ट्यूशन फीस(no school no fees) नहीं देंगे। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल संचालक फीस में लगातार मनमानी कर रहे हैं। जिस पर हाईकोर्ट कल अपना फैसला सुना सकती है।

इससे पहले स्कूल फीस मामले में उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति डीके श्रीवास्तव और संजय यादव ने 24 सितंबर को सुनवाई की थी। जहां कहा गया था कि कोई ऐसा बीच का प्रस्ताव निकाला जाए। जिससे अभिभावक, विद्यार्थी सहित शैक्षणिक स्टाफ और स्कूल प्रबंधन का हित भी सुरक्षित रहे।

बता दें कि स्कूल प्रबंधन ने 2020-21 के फीस की घोषणा कर दी थी। जिसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को दे दी गई थी। जिसके बाद लॉकडाउन में कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे। वहीं जिन स्कूल प्रबंधन ने फीस की घोषणा नहीं की थी। वह पिछले साल की फीस के आधार पर ही ट्यूशन फीस लेंगे। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि वैसे स्कूल अन्य किसी तरह का मद नहीं वसूल सकते हैं।

गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लॉकडाउन अवधि में सिर्फ ट्यूशन फी लेने के आदेश के बाद अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन में स्कूल फीस को लेकर हंगामे की स्थिति पनप गई थी। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने फैसले में आदेश देते हुए कहा था कि स्कूल लॉकडाउन के दौरान सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे। जिसके बाद अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों ने साल भर की फीस को भी ट्यूशन फीस में शामिल कर दिया है।

वहीं स्कूल संचालक अभिभावकों पर फीस देने का दबाव बना रहे हैं। जिसे बाद एक बार फिर जबलपुर हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को फैसला देते हुए कहा था कि स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस वसूल सकेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होनी है। जहां कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन सहित अभिभावकों को अपना पक्ष रखने की बात कही है। वहीं इन दोनों के बीच मध्यस्थता की भी बात कही गई है।


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