सेवढा, राहुल ठाकुर। सेवढ़ा में बढ़ते कोरोना संक्रमण (corona infection) को देखते हुए जिला स्तर के आधिकरियों ने निर्देशो की बारिश कर दी है। लेकिन इन ये निर्देश पन्नों पर तो बहुत लिखे है लेकिन हकीकत (reality) में इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। इन आदेशों से मात्र मध्यम वर्गीय लोग परेशान हो रहे है। धरातल पर स्तिथि ऐसी है कि स्थानीय आला अफसरों की तैनाती महज कागजो में ही नजर आ रही है और बंगलो से आदेशो की तामीली कराई जा रही है। निर्देशो की खाना पूर्ति उन आमजन (common people) पर की जा रही है जो राजनीति (politics) से मतलब नही रखते है। लॉक डाउन (lock down) उल्लंघन के मामले भी उन पर ही थोपे जाते है जो राजनीति में हस्तक्षेप नही करते। शासन द्वारा लगाया गया लॉक डाउन केवल कागजो में जिंदा है। सुबह-शाम दुकानें तो बन्द है लेकिन सेवढा नगर की गलियों में बने सेठों के घर और गोदाम से दिन रात दुकानदारी जमकर की जा रही है और स्थानीय अधिकारियों को मालूम होने के बाद भी नाम की कार्यवाही कर वरिष्ठ अधिकारियों की जमकर वाह वाही लूटी जा रही है।
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सुबह शाम सैर सपाट पर निकलते है लोग
लॉक डाउन में सेवढा नगर के केवल मुख्य बाजार में स्थित दुकानों में ताले लगे हुए जबकि सारा दिन ग्राहकों की भीड़ दुकानदारों के घर और गोदामों में नजर आती है। सभी दुकानदारो ने अपनी अपनी दुकानों में केवल नाम के लिए ही ताले जड़े है असली कारोबार प्रशासन के नाक के नीचे से दिन रात हो रहा है और कार्यवाही के नाम पर छोटे-मोटे दुकानदारों को उठा लिया जाता है और थाना सेवढा में अपने आंकड़े पूर्ति कर ली जाती है। वहीं लॉक डाउन के बीच सुबह शाम सिंध नदी व लहार तिराहे पर आमजन सैर सपाटा करने निकल जाते है।
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चेकिंग नाको पर कोई रोक टोक नहीं –
सेवढा नगर में स्थानीय शासन द्वारा लगाए गए तीन नाकों पर कर्मचारियों की तैनाती तो कर दी लेकिन रात्रि के समय और सुबह के समय नाकों पर कोई भी कर्मचारी तैनात नही रहता है। महज पुलिस के आरक्षकों के भरोसे यह नाके संचालित किए जाते है। इन नाकों से लोगो की दिन भर आवाजाही होती रहती है और बिना रोक टोक के इन नाको से इन लोगो को गुजरने दिया जाता है।