भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) में लगातार महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ (College professor association) के द्वारा उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) को पत्र लिखकर एरियर के भुगतान (Arrear payments) की मांग की जा रही थी। जिसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग सरकारी कॉलेज के सातवें वेतनमान के एरियर भुगतान के लिए राजी हो गया है। विभाग ने इस मामले में सहमति दे दी है। सातवें वेतनमान के एरियर के भुगतान से प्रदेश के करीब 5000 शासकीय प्रोफेसर को इसका फायदा मिलेगा।
दरअसल इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) का कहना है कि जल्द ही सातवें वेतनमान के एरियर की राशि प्रोफेसरों के जीपीएफ खाते में भुगतान की जाएगी। इसके लिए स्वीकृति दे दी गई है। साथ ही उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री मोहन यादव ने बताया कि इसके साथ पेंशन विवादों का भी जल्द ही समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं। ज्ञात हो कि इन भुगतानों में करीबन 750 करोड़ रुपए का खर्च राज्य सरकार पर आएगा। वहीं सातवें वेतनमान की एरियर्स के 50% का भुगतान राज्य सरकार (state government) को वहन करना हैं जबकि आधी राशि केंद्र सरकार (central government) द्वारा खाते में भेजी जाएगी।
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बता दें कि प्रदेश में सरकारी कॉलेज के प्रोफेसरों को एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक के बीच के एरियर की राशि भुगतान किया जाना था। जहाँ 2018-19 की समाप्ति से पहले प्रोफेसरों के जीपीएफ खाते में एरियर के भुगतान के आदेश दिए गए थे। किंतु 2019-20 के 7 महीने गुजर चुके हैं लेकिन अब तक एरियर की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। प्रदेश महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष कैलाश त्यागी (Kailash Tyagi) ने बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत उच्च शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के अधिकारियों के बीच समन्वय का अभाव है। जिसका खामियाजा प्राध्यापक भुगत रहे हैं।
वहीं इस मामले में प्रदेश महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश त्यागी ने उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने एरियर के भुगतान की मांग की थी।