नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि बिना(Skin to skin touch) किए किसी नाबालिक लड़की के वक्षस्थल को छूना (Touch the breast) यौन शोषण नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के इस विवादित फैसले का सभी जगह विरोध किया जा रहा है। इसी संबंध में यूथ बार एसोसिएशन (Youth Bar Association) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर (Petition filed) करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपना फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) के फैसले पर रोक लगा दी है।
मुंबई हाईकोर्ट का यह था फैसला
दरअसल, 19 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने यह फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा गया था कि यदि स्किन टू स्किन टच (Skin to skin touch) नहीं होता है तो इसे यौन हमले में नहीं माना जाएगा। यौन हमला (Sexual assault) तभी माना जाएगा जब स्किन टू स्किन टच (Skin to skin touch) होता है। साथ ही इस फैसले में यह भी कहा गया था कि महज नाबालिग लड़की के वक्षस्थल को छूना (Touch the breast) भर यौन शोषण की परिभाषा (Definition of sexual abuse) में नहीं आता है। ऐसे में इसे पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के दायरे से बाहर रखा जाएगा। हाईकोर्ट (Bombay high court) ने यह फैसला 12 वर्षीय एक नाबालिग के साथ हुए अपराध के संबंध में सुनाई थी।
दिसंबर 2016 की है घटना
बता दें कि 12 वर्षीय नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायाधीश गनेडीवाला (Judge Ganeediwala of Bombay High Court) ने एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन करते हुए 39 वर्षीय आरोपी को कारावास की सजा (Imprisonment) सुनाई थी। अभियोजन पक्ष (Prosecutors) और नाबालिग पीड़िता ने अदालत में गवाही दी थी। आरोपी सतीश ने नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने घर ले गया, जहां पर उसके वक्ष स्थल (Breast) को पकड़ा और फिर उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की। ये घटना दिसंबर 2016 की है।
इस संबंध में पीड़िता के परिजनों ने शिकायत की थी। जिसके बाद यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) में पहुंचा। जहां पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना ही उसके वक्ष स्थल को छुआ गया, ऐसे में यह यौन हमले के दायरे में नहीं आता है। और कहा गया कि यह महिला के शील को भंग करने के अपराध के अंतर्गत आईपीसी की धारा 354 (Section 354 of IPC) के तहत दर्ज की जाएगी। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के इस फैसले पर विवाद उठ रहा था। वहीं कई हस्तियों ने व नागरिक संगठनों ने इसे हास्यास्पद बताकर फैसले की आलोचना भी की थी। जिसके बाद यूथ बार एसोसिएशन (Youth Bar Association) ने बांबे हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर (Petition filed) की थी।