भोपाल डेस्क रिपोर्ट–मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की दो दिन से चली आ रही हड़ताल खत्म हो गई है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर परिवहन विभाग अधिकारी कर्मचारी संगठन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी जो मंत्री गोविंद राजपूत के आश्वासन के बाद समाप्त कर दी गई है।
परिवहन विभाग की हड़ताल: एसीएस से मुलाकात बेनतीजा, अब मंत्री के पाले में गेंद
परिवहन विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर संगठन के पदाधिकारियों ने बुधवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन एसएन मिश्रा से मुलाकात की थी। लेकिन यह मुलाकात बेनतीजा रही थी। गुरुवार को एक बार फिर अतिरिक्त सचिव के साथ मुलाकात हुई लेकिन इस बार कोरोना संक्रमित होने के कारण स्वास्थ्य लाभ ले रहे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी अधिकारी-कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने आश्वासन दिया कि परिवहन विभाग का मुखिया होने के नाते वे उनकी सारी जायज मांगों को पूरा करने के लिए कृत संकल्पित हैं और सरकार से बात कर जल्द समस्याओं का निराकरण कराएंगे। इसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी।
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मंत्री के द्वारा विभाग के अधिकारियों को जो आश्वासन दिया गया है उसमें सबसे महत्वपूर्ण उनकी कार्य सुरक्षा का है। परिवहव विभाग के अधिकारी अर्ध न्यायिक काम करते हैं इसीलिए न्यायधीश संरक्षण अधिनियम 1985 के अंतर्गत परिवहन विभाग को भी शामिल करने का मंत्री ने आश्वासन दिया है ।इस संबंध में 15 दिन के भीतर आदेश जारी कर दिए जाएंगे। विभाग में जारी वेतन विसंगति भी तीन माह में दूर कर ली जाएगी। एक महीने के भीतर पर विभाग के लिपिक वर्ग के लिए उप निरीक्षक के पदों पर भर्ती की परीक्षा भी घोषित कर दी जाएगी। जिस तरह से पुलिस विभाग ने अपने अधिकारियों के पद नाम परिवर्तित किए हैं उसी तरह के परिवहन विभाग के अधिकारियों के पद नाम परिवर्तित करने का प्रस्ताव भी भेजा जाएगा। साथ ही आरटीओ ऑफिस में लिपिक प्रवर्तन अमले की शीघ्र पदस्थापना की जाएगी। कई बार फर्जी और गुमनाम शिकायतें आती हैं, उन पर विचार नहीं किया जाएगा।
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जो शिकायतें वर्तमान में की गई है उनका भी परीक्षण कराकर ही कोई निर्णय लिया जाएगा। साथ ही किसी भी जिले में वाहन दुर्घटना होने पर जब तक जांच नहीं होगी तब तक विभाग के अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। टीकमगढ़ में परिवहन अधिकारी और लिपिक के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है उसकी जांच पुन आला अधिकारियों से कराई जाएगी और दोषी पाए जाने की स्थिति में ही कार्रवाई होगी। परिवहन विभाग का मैनुअल बनाने के लिए चाथ माह में जारी करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।
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क्या थी हङताल की वजह
मध्य प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों में 7 अप्रैल से तालाबंदी कर दी थी। परिवहन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने अपने साथ लगातार हो रहे अन्याय की बात कहकर यह निर्णय लिया था ।
हङताल का तत्कालीन कारण अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करना बताया गया था। इसके साथ-साथ यह भी कहा गया था कि कार्यालय स्टाफ की कमी के चलते अधिकारी और कर्मचारियों पर मानसिक दबाव रहता है। प्रवर्तन अमले को मुख्यालय में अटैच कर दिया जाता है जबकि यहां पर इनकी किसी प्रकार की पद संख्या नहीं है। जब भी कोई यात्री वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता है तो बिना जांच किए जिला परिवहन अधिकारी को निलंबित कर दिया जाता है। इसके साथ-साथ परिवहन विभाग में आरक्षक से लेकर संभागीय परिवहन आयुक्त के पदों में अन्य विभागों की तुलना में काफी वेतन विसंगतियां हैं। लंबे समय से पदोन्नति पर रोक लगी हुई है और इसलिए पद नाम परिवर्तन करने की मांग की गई लेकिन इसे भी ठुकरा दिया गया है। कार्यालय स्टाफ को वर्दी की मांग भी आश्वासन देकर समाप्त कर दी गई और कर्मचारियों के लिए परिवहन उपनिरीक्षक की भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं की गई जिससे कई लोग उसी पद पर रिटायर हो गए। इन सब वजहों से कर्मचारी अधिकारी 7 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये थे जिसका विपरीत असर पङ रहा था।