भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हुई मंत्री समूह की बैठक में मंगलवार को भी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला। इसके लिए गठित मंत्री समूह ने अजाक्स और सपाक्स पर फैसला छोड़ दिया है, मंत्री समूह ने साफ कर दिया कि कहा आप आपस में मिलकर लें उचित निर्णय। हालांकि अजाक्स ने विधि विशेषज्ञों के द्वारा तय फार्मूले को लागू करने की बात कही। लेकिन वहीं सपाक्स ने कहा कि न्यायलय के निर्णय का करेंगे इंतजार। मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के लिए गठित मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक इससे पहले गुरुवार को मंत्रालय में हुई थी, लेकिन उस बैठक में भी कोई फैसला नहीं निकला था जिसके बाद इसे आठ फरवरी तक के लिए टाल दिया गया था,
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002″ खारिज किया जा चुका है। यह मामला सुप्रीम कार्ट में है, इस वजह से प्रदेश में पिछले पौने छह साल से पदोन्नति पर रोक है। इस अवधि में करीब 60 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनमें से करीब 32 हजार कर्मचारियों को बगैर पदोन्नति सेवानिवृत्त होना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण सरकार पदोन्नति नहीं दे पा रही थी, तब आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने पदोन्न्ति देने की गुहार लगाई थी। ऐसे में सरकार ने समिति का गठन कर पदोन्नति के विकल्प तलाश करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में मुद्दे तय कर दिए हैं। अब 24 फरवरी से राज्यवार मामलों की सुनवाई शुरू होगी। इस दौरान सरकार प्रदेश में आरक्षित-अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों की वर्गवार, संवर्गवार और विभागवार जानकारी कोर्ट में पेश करेगी। इसके बाद मध्य प्रदेश के संदर्भ में कोर्ट फैसला सुनाएगा।