शराब पर दिये अपने बयान को फिर दोहराया इस भाजपा नेता ने, कहा मैंने यथार्थ कहा

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नव नियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi) ने पिछले दिनों शराब को लेकर दिये अपने बयान को दोहराया है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने मेरे बयान को आधा अधूरा छापा और दिखाया लेकिन मैंने जो कहा वो यथार्थ है। हमारे धर्म ग्रंथों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख हैं ।

दरअसल प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार गृह जिले से जाने के लिए 22 जनवरी को ग्वालियर पहुंचे चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi) ने कहा था कि हमारे तो देवता भी शराब पीते थे इसका उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथों में भी है। उनके इस बयान के बाद बवाल मच गया था लेकिन आज वापस भोपाल जाने के लिए ग्वालियर आये चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi)ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझसे पूछने की जगह आप हमारे ग्रंथ पढ़ेंगे तो आपको उसमें यथार्थ दिख जायेगा। मैंने भी यथार्थ ही कहा था साथ ही मैंने उसमें आत्म अनुशासन की बात भी कही थी लेकिन आप लोग अपने मतलब की बात ही छापते और दिखाते हैं।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi) ने कहा कि आप सरकार से क्या क्या उम्मीद रखोगे, हर चीज सरकार आपके घर आकर नहीं रोकेगी। आपको आत्म अनुशासन में रहना होगा। हमारे यहाँ कहा भी गया है अति सर्वत्र वर्जते। स्वयं पर अनुशासन बहुत जरूरी है कि हमें क्या करना है क्या नहीं करना है। जो मैंने कहा था वो यथार्थ है। मैंने कहा था कि सीमित मात्रा में ली जाने वाली चीज नुकसान नहीं करती यदि आप दवाई भी अधिक मात्रा में ले लेंगे तो वो भी आपको बीमार कर देगी।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi) ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) के शराब बंदी वाले बयान और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा (Anoop Mishra) के किराने की तरह शराब की दुकाने खोले जाने के बयान पर कहा कि ये लोग हमारे वरिष्ठ नेता हैं जो कहा होगा वो इनकी परिपक्व सोच होगी।

चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Chaudhary Mukesh Chaturvedi)ने कहा कि सुर का मतलब देवता से है, हनुमान चालीसा में भी अंत में कहा गया है कि हृदय बसहुँ सुर भूप। सुर से ही सुरा शब्द बना है। असुर एक प्रवृत्ति है। कोई रोटी खाकर भी सन्नाता है। कहने का मतलब ये है कि प्रवृत्ति ही आपको देवता या दानव बनाती है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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