उमा भारती ने विधायक को लिखा पत्र, ‘हलाली डैम’ के नाम को बदलने की रखी मांग

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Former Chief Minister Uma Bharti) एक बार फिर से चर्चा में आ गई है। क्योंकि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में इमारतों और जगहों के नाम बदलने को लेकर सियासत फिर शुरू हो गई है। जी हां इसी संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती (BJP veteran Uma Bharti) ने बैरसिया विधानसभा (Berasia Assembly) के ‘हलाली डैम’ (Halali dam) का नाम बदलने की मांग की है। जिसे लेकर बैरसिया विधायक (Berasia mla) विष्णु खत्री (Vishnu Khatri) को बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती (BJP veteran Uma Bharti) ने पत्र लिखा है। इससे पहले भी इस डैम (Halali dam) का नाम बदलने को लेकर कई बार मुद्दा गरमा चुका है। जिसके बाद अब उमा भारती ने भी नाम बदलने को लेकर विधायक को पत्र लिखा है।

जानिए पत्र में क्या लिखा है

पूर्व सीएम उमा भारती (Former CM Uma Bharti) ने विधायक को पत्र में लिखा है कि ‘आपके विधानसभा क्षेत्र से बैरसिया (Assembly Constituency from Berasia) में एक चर्चित स्थल ‘हलाली डैम’ (Halali dam) का नाम बार-बार आता है, जबकि मेरी जानकारी के अनुसार उसका नाम बदल चुका है। भोपाल (Bhopal) शहर के बाहर प्रचलिता हलाली नाम का स्थान एवं नदी विश्वासघात की कहानी (Story of betrayal) की याद दिलाती है। जिसमें दोस्त मोहम्मद खां (dost mohammad khaan) ने भोपाल के आसपास के अपने मित्र राजाओं को बुलाकर उन्हें धोखा देकर उनका सामूहिक क़त्ल (Mass murder) किया था तथा उनके क़त्ल से नदी लाल हो गई थी। हलाली शब्द, हलाली स्थान उसी प्रसंग का स्मरण कराता है। विश्वासघात, धोखाधड़ी, अमानवीयता यह सब एक साथ हलाली शब्द के साथ आते हैं, तो हलाली का इतिहास जानने वालों के अंदर घृणा का संचार होता है।

उमा भारती ने विधायक को लिखा पत्र, 'हलाली डैम' के नाम को बदलने की रखी मांग

विधायक संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री से करें बात : उमा भारती

आगे उन्होंने लिखा है कि ‘मैंने सुना है कि उसको एक पर्यटन केंद्र बनाया जा रहा है, क्योंकि वहां डैम है, नदी है। यह एक बहुत अच्छी बात है, लेकिन आप तुरंत संस्कृति एवं पर्यटन विभाग (Culture and Tourism Department) से संपर्क करें एवं जुगुप्सा पैदा करने वाले इस नाम का उल्लेख बंद करवा दीजिए। इस संबंध में पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर (Tourism Minister Usha Thakur) जी से मिलकर भी आप बात कर सकते हैं, मैं भी इस पत्र की एक कॉपी उन्हें भेज दूंगी।’

पहले भी नाम बदलने को लेकर हो चुकी है सियासत

बता दें कि नाम बदलने की सियासत पहली बार नहीं हो रही है। इससे पहले भी मध्यप्रदेश में भोपाल और इंदौर का नाम बदलने को लेकर सियासत हो चुकी है। क्योंकि भोपाल (Bhopal) का नाम पहले भोजपाल किए जाने को लेकर महापौर आलोक शर्मा नगर निगम में प्रस्ताव आया था। जिसे अनुमति नहीं मिल सकी। इंदौर (Indore) शहर का नाम इंदूर किए जाने को लेकर नगर निगम परिषद में प्रस्ताव भेजा गया था, जिसपर सहमति नहीं बनी। लेकिन दोनों पर सियासत जरूर हो चुकी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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