VIDEO : घेराव करने पहुंचे कांग्रेसियों को पुलिस ने खदेड़ा, तीखी नोंक-झोंक, धक्का मुक्की

Pooja Khodani
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जबलपुर, संदीप कुमार। आपने एक कहावत तो सुनी होगी कि सिर मुड़ाते ओले पड़े। कुछ ऐसा ही हुआ आज शनिवार को मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले जबलपुर (Jabalpur) में युवक कांग्रेस के एक नेता के साथ। दरअसल मामला जुड़ा है, कोरोना संक्रमण काल मे निजी अस्पतालों की मनमानी और सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के खिलाफ युवक कांग्रेस और एनएसयूआई (NSUI) द्वारा किए जा रहे संयुक्त विरोध प्रदर्शन से, जिसके तहत कोरोना के ईलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट के खिलाफ आज जबलपुर जिला अस्पताल का घेराव करने युंका और एनएसयूआई के कार्यकर्ता पहुंचे थे।नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ता जैसे ही जिला अस्पताल के गेट पर पहुंचे, वहां पहले से मौजूद पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक लिया।

इस दौरान कार्यकर्ताओ और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गयी,धक्कामुक्की के बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया और किसी भी सूरत में गेट के अंदर नही जाने दिया, हालांकि कार्यकर्ता दोबारा वापिस लौट और फिर से गेट पर बैठकर प्रदर्शन करने लगें,लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गयी,इस बीच मौजूद मदन महल पुलिस की नजर युवक कांग्रेस के एक नेता पर पड़ गई,जो मारपीट के एक मामले में मदन महल थाने का स्थायी वारंटी था,फिर क्या था पुलिस ने बिना देर किए प्रदर्शन करने पहुंचे स्थायी वारंटी युंका नेता रघु तिवारी को गिरफ्तार कर लिया,पुलिस युंका को नेता को हिरासत में लेकर जैसे ही जाने लगी,वैसे ही कार्यकर्ताओ ने इसका विरोध किया,जिससे भगदड़ की स्थिति बन गयी।

जिला अस्पताल का घेराव करने पहुचे कार्यकर्ताओ की मांग थी कि कोरोना मरीजो के साथ निजी अस्पताल वाले लूट कर रहे है और सरकारी अस्पताल में इतनी अव्यवस्था की मरीज कूदकर जान दे रहे है,ऐसे में पुलिस और प्रशासन निजी अस्पतालों का साथ दे रहा है,जो कि गलत है। निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के मरीजों के साथ की जा रही लूट के खिलाफ प्रशासन और सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि मूक दर्शक बने हुए है,एन एस यू आई ने कहा कि वे जिला अस्पताल में सी एम ओ का घेराव करने पहुचे थे, लेकिन उन्हें अंदर जाने नही दिया गया,टाउन हॉल में एकत्रित होकर जिला अस्पताल पहुचे एन एस यू आई कार्यकर्ताओ के इस प्रदर्शन में पुलिस ने एक स्थायी मामले के वारंटी को भी गिरफ्तार किया,जिसका NSUI ने विरोध किया और कहा कि छोटे से मामले को पुलिस बेवजह तूल दे रही है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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