इंदौर।आकाश धोलपुरे
यूं तो प्रदेश की शिवराज सरकार ने नगर निगम में कार्यरत कोरोना वारियर्स के कार्यों की सरहाना कोरोना संकट के बीच कई दफा की है लेकिन हकीकत इससे परे है। दरअसल, ना तो निगम कर्मचारियों को कोरोना से बचाव की किट मिल रही है और वेतन के अभाव में राशन भी नही मिल पा रहा है। इसी बात से आहत इंदौर में अलग – अलग कर्मचारी संगठनों के प्रमुख एक ही जाजम पर आ गए है। दरअसल, इंदौर के कई सफाईकर्मियों पर कोरोना आक्रमण कर चुका है ऐसे में कोरोना संकट के बीच बुधवार को निगम प्रांगण मे सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में कर्मचारी नेता प्रताप करोसिया, पटेल लेखराज नरवाले, पटेल शिव घावरी, चौधरी लीलाधर करोसिया, चौधरी राजेश करोसिय, पटेल महेश तोमर, चौधरी टोनी सिरसिया, चौधरी नागेश गौहर और संतोष घेघट मौजूद थे। बैठक के दौरान निगम की लापरवाही पर चिंता जताई गई और संक्रमण के दौरान अन्य कोरोना वारियर्स की ही तरह तरजीह देने की मांग भी उठाई गई।
बता दे कि इंदौर को लगातार 3 बार स्वच्छता में नम्बर 1 का स्थान दिलाने में महती भूमिका अदा करने वाले सफाईकर्मियों पर अब कोरोना संक्रमण अटैक कर रहा है। जिसके चलते अब तक अकेले इंदौर में 4 स्वच्छता सैनिक इसकी चपेट में आ चुके है वही 10 से ज्यादा स्वच्छता सैनिक क्वारन्टीन किये जा चुके है। गांधी नगर निवासी विजय चंदेले की मौत आज कोरोना संक्रमण के चलते हो गई है जिनकी पत्नि की मौत कुछ दिन पहले ही कोरोना की चपेट में आने से हो गई थी वही उनके 3 बच्चो का इलाज शहर के अरविंदो अस्पताल में चल रहा है। इधर, दूसरी ओर खजराना निवासी मोहन बोधे की मौत के बाद उनके पूरे परिवार को भी क्वारन्टीन किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक शहर के गांधी नगर, अमर टेकरी और राजमोहल्ला निवासी महिला सफाईकर्मियों के कोरोना की चपेट में आने के बाद उनका इलाज अलग – अलग अस्पतालों में जारी है।
इन तमाम मामलो के सामने आने के बाद हजारों कर्मचारियों की चिंता वाल्मीकि समाज और कर्मचारी नेताओ को सता रही है लिहाजा निगम प्रांगण में आयोजित बैठक में कर्मचारी नेताओ ने निर्णय लिया है कि सरकार कोरोना संकट के दौरान जल्द ही उनकी मांगो पर निर्णय ले। बैठक के दौरान चर्चा की गई कि निगम ने कार्यरत सफाई कर्मचारियों को बीमार होने पर अच्छे प्रायवेट अस्पतालों में निशुल्क इलाज कराया जाए वही कोरोना के संकट में डॉक्टर, पुलिस एवं स्वास्थ्यकर्मी की तरह सफाई कामगारो को सेनेटाइजर, ग्लोब्स और पीपीई किट उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा ऐसे सीएसआई और दरोगाओ को निलंबित किया जाए जो निगम द्वारा दी जा रही सुविधाओं को कामगारों तक नही पहुंचा रहे है उल्टा कर्मचारियों को काम से निकाले जाने की धमकी दे रहे है। संगठन प्रमुखों द्वारा 50 वर्ष से अधिक उम्र के ब्लड प्रेशर, शुगर और हार्ट के मरीजो और 5 किलोमीटर की दूरी तय कर काम पर पहुंचने वाली महिलाकर्मियों को भी संकट काल के दौरान कार्य से मुक्त रखे जाने और पूर्ण वेतन दिए जाने जैसे मुद्दों पर एक राय रखी गई।
एटीएम धारक न होने से नही मिल पाया अब तक वेतन
कोरोना संकट के बीच निगम में लगभग 4000 सफाई कर्मचारी ऐसे हैं जिनके पास एटीएम कार्ड नहीं है और वे आम दिनों मे सीधे बैंकों से वेतन प्राप्त करते हैं। जिसके चलते कर्मचारियों को राशन सहित अन्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में निगम प्रशासन से नकदी वेतन की व्यवस्था के साथ ही राशन उपलब्ध कराए जाने की मांग भी बीते कई दिनों से उठाई जा रही है लेकिन निगम प्रशासन के कानों में अब तक जूं नही रेंगी है।
दिन रात स्वच्छता का ध्यान रखने वाले सफाईकर्मी ना सिर्फ शहर को सेनेटाइज कर रहे है बल्कि कंटेन्मेंट क्षेत्रो में भी दवाइयों का छिड़काव जान हथेली पर रखकर कर रहे है लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्यों अन्य सेवाओ की तर्ज पर स्वच्छता सैनिकों को तवज्जों नही दी जा रही है और कब तक शहर की सेवा निरंतर जुटे रहने वालों को हाशिये पर रखा जाएगा। इन सवालो के जबाव ना सिर्फ निगम प्रशासन को देना है बल्कि शिवराज सरकार को भी। फिलहाल, आज सभी कर्मचारी नेता एक एजेंडे के साथ निगमायुक्त आशीष सिंह से मुलाकात करेंगे