संकटकाल में गेंहू खरीदी की प्रक्रिया, जिसे महिलाएं कर रही है सार्थक, बढ़ा रही आमदानी

Kashish Trivedi
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जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना संक्रमण के समय जब पुरुष घर से बाहर निकलने में डर रहे है थे। उस कोरोना काल में प्रदेश की महिलाएं न सिर्फ घर से बाहर निकल रही बल्कि अपनी आमदानी भी ऐसे समय बढ़ा रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस बार गेहूँ खरीदी का जिम्मा महिलाओ को सौपा है जो कि निर्विवाद रूप से गेहूं खरीदी करवा रही है। राज्य सरकार ने जबलपुर में 32 गेंहू खरीदी का जिम्मा महिलाओ को सौपा है।

कोरोना संक्रमण का नही है इन महिलाओं को डर

जबलपुर में गेहूँ खरीदी के लिए कुल 80 खरीदी केंद्र बने हुए है। जिसमे की करीब 32 गेंहू खरीदी केंद्रों में इस बार राज्य सरकार ने महिलाओ को जिम्मा दिया है कि वो बिना विवाद के किसानों से गेहूं खरीदी करे। हर साल गेंहू खरीदी को लेकर विवाद की स्थिति बनती थी। किसानों का हमेशा से आरोप रहता था कि उनके साथ ठगी हो रही है। लिहाजा ये देखते हुए जिला प्रशासन ने गांव की स्व सहायता समूह चलाने वाली महिलाओं को जिम्मेदारी दी कि वो गेंहू खरीदी करवाए। जिला प्रशासन का ये दांव बिल्कुल सटीक बेठा है और अभी तक जबलपुर में महिलाओ ने करीब 3 हजार टन गेंहू खरीदी कर ली है। खास बात ये है कि इस बार गेंहू खरीदी के दौरान कही भी विवाद के हालात नही बने।

ये है गेंहू खरीदी की प्रक्रिया-जिसे महिलाएं कर रही है सार्थक

किसानों के द्वारा गेंहू खरीदी के लिए सबसे पहले उन्हें मोबाइल में मैसेज भेजा जाता है। साथ ही एक डेट दी जाती है। उस डेट को किसान अपना गेंहू खरीदी केंद्र में लेकर आता है। जहाँ किसान का गेंहू काटे के माध्यम से तौला जाता है और फिर 50 किलो 200 ग्राम की बोरी में भरकर वेयर हाउस में रखा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान गेंहू खरीदी में लगी महिलाए उपास्थित रहती है।

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कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन की गाइडलाइन का होता है पालन

वर्तमान में कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है लिहाजा गेंहू खरीदी में जुटी ये महिलाए शासन की कोरोना गाइडलाइन का न सिर्फ स्वयं पालन करती है बल्कि किसानों से भी करवाती है। गेंहू खरीदी में जुटी महिलाओ का कहना है। हम संक्रमण से बचने को पूरे तरीके अपनाते है। यही कारण है कि अभी तक 32 खरीदी केंद्र में से किसी मे भी कोरोना के केस नही आए है।

किसान भी खुश-अधिकारी भी हैरान

आम तौर पर स्व सहायता समूह चलाने वाली महिलाएं गांव में रहकर छोटे-छोटे काम अपनी आजीविका को चलाने के लिए करती थी पर इस बार शासन ने उन्हें बृहद स्तर की जिम्मेदारी सौपी। गेंहू खरीदी केंद्र में महिलाओं के आ जाने से किसानो के साथ होने वाले विवाद पर भी अंकुश लग गया है। अब किसान भी खुश है कि उन्हें अपने अनाज का पूरा दाम बिना कमीशन के मिल रहा है। इधर महिला स्व सहायता समूह की निगरानी भी जिला स्तर के अधिकारी को सौपी गई है जो कि समय-समय पर महिलाओं के कामो को देखती है।

कोरोना काल में महिलाओ की आजीविका का बेहतर जरिया है गेंहू खरीदी का काम

कोरोना संक्रमण के समय गाँव मे चलने वाला महिलाओं का स्व सहायता समूह का काम लगभग बन्द हो गया था। ऐसे में शासन ने समूह चलाने वाली महिलाओं को गेहूं खरीदी के काम मे शामिल करके इन्हें आजीविका उपलब्ध करवाई है। जिला पंचायत सीईओ का मानना है कि निश्वित रूप से इस समय महिलाओ को काम मिलना उनके सवलम्बन के लिए लाभदायक होगा। साथ ही उनकी आय से उनके परिवार को भी लाभ मिलेगा जो कि कोरोना काल मे रोजगार से जूझ रहा है।

“मेरा देश बढ़ रहा है”निश्चित रूप से कोरोना काल मे जिस तरह से सरकार ने इन स्व सहायता समूह की महिलाओ पर भरोसा दिखाते हुए उन्हें गेंहू खरीदी का जिम्मेदारी भरा काम दिया था उस काम को भी इन महिलाओं ने बखूबी निभाया।यही कारण भी है कि हर साल जहाँ खरीदी के दौरान विवाद की स्थिति बनती थी। वही इसके उल्ट आराम से गेहूं खरीदी हो गई, किसानों के साथ साथ राज्य सरकार और प्रशासन का अमला भी स्व सहायता समूह की महिलाओ के काम से खुश है।


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