Health Insurance New Rules: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों के लिए बड़ी अपडेट सामने आई है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने हेल्थ पॉलिसी से जुड़े नियमों में कई बदलाव किए हैं। जिसका फायदा मौजूदा और नए पॉलिसीहोल्डर्स को होगा। आईआरडीएआई ने हेल्थ पॉलिसी से जुड़े तीन बड़े बदलाव किए हैं। मोरटोरियम पीरियड और पीईडी के लिए वोटिंग पीरियड को घटाया गया है। इतना ही नहीं अब पॉलिसी खरीदने के कोई भी अधिकतम आयु सीमा न रखने का फैसला लिया गया है। यदि आप हेल्थ पॉलिसी का लाभ उठाते हैं तो नियमों के बारे में जरूर जान लें।
हेल्थ पॉलिसी खरीदने के लिए अब कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं
आईआरडीएआई ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए अधिकतम आयु सीमा के शर्त को हटा दिया है। इससे पहले बीमा कंपनियों को 65 साल तक के व्यक्ति को रेगुलर हेल्थ कवर ऑफर करने अनुमति थी। बदलाव के बाद इंश्योरेंस कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी ऑफर कर सकती हैं। इस फैसले से कस्टमाइज्ड और इन्नोवेटिव पॉलिसीज मार्केट में आएंगे।
PED के वेटिंग पीरियड अब 4 साल का नहीं होगा
प्री एडजस्टिंग डिजीज (PED) के वेटिंग पीरियड 4 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया हैं। इस अवधि के बाद ही दस्तावेजों में दी गई बीमारियों और ईलाज के लिए कवरेज मिलता है।
मोरटोरियम पीरियड घटा
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए मोरटोरियम पीरियड को 8 साल से घटकर 5 साल कर दिया गया है। नए नियमों के तहत 60 महीने कवरेज के बाद कंपनियां पॉलिसिधारकों के किसी क्लेम को नॉन-डिस्क्लोजर और मिस रिप्रेजेंटेशन के आधार पर रिजेक्ट नहीं कर सकते। मतलब यदि कोई व्यक्ति लगातार 5 साल तक अपनी हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान करता है तो ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीहोल्डर्स के क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती। हालांकि फ्रॉड के मामले में क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है। मतलब हाइपरटेंशन, डायबिटीज, अस्थमा जैसे बीमारियों की जानकारी मिलने पर मिलने पर पॉलिसी होल्डर के पॉलिसी होल्डर के क्लेम को रिजेक्ट किया जा सकता है। कंपनियां नॉन-डिस्क्लोजर का लोन डिस्क्लोजर का हवाला देकर पॉलिसी को रद्द भी कर सकती हैं।