वर्ष 2024 आईटी सेक्टर (IT sector) के कर्मचारियों के लिए अब तक बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। दरअसल टेक्नोलॉजी क्षेत्र में छंटनी का दौर अभी भी जारी है, और अब तक की बात की जाए तो लगभग 1 लाख 35 हजार से अधिक लोग अपनी नौकरियां गवां बैठे हैं। वहीं वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती महंगाई और कई कंपनियों द्वारा लागत में कटौती के चलते ही इस उद्योग पर इतना बड़ा संकट गहरा रहा हैं।
जानकारी के अनुसार यह साल अब तक आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए चुनौतियों से भरा दिखाई दे रहा है। दरअसल कई बड़ी कंपनियों ने बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी की है, जिससे न ही केवल उसके प्रमुख उद्योगों पर असर पड़ा है, बल्कि छोटे स्टार्टअप्स पर भी बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने किया प्रभावित
हालांकि 2024 की शुरुआत से ही न सिर्फ भारत इससे प्रभावित हुआ है बल्कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने आईटी और टेक्नोलॉजी क्षेत्र को गहरा प्रभावित किया है। वहीं कोविड-19 महामारी के दौरान आईटी कंपनियों की मांग में वृद्धि देखने को मिली थी, लेकिन इस साल यानी 2024 में तकनीकी उत्पादों और सेवाओं की मांग में अचानक कमी देखने को मिली है। वहीं लागत घटाने के लिए कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है, जिससे हजारों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
इन कंपनियों ने दिया कर्मचारियों को झटका
दरअसल इस वर्ष की पहली छमाही में कई प्रमुख टेक कंपनियों ने छंटनी की घोषणाएं की। जानकारी के मुताबिक इंटेल ने 15% कर्मचारियों की कटौती की, सिस्को ने 7% कम किए, और डेल ने 10% कर्मचारियों को प्रभावित किया। आईबीएम ने चीन में अपने आर&D केंद्र को बंद कर दिया, जबकि एप्पल और गोप्रो ने भी अपने कर्मचारियों की संख्या में कमी की। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने भी पदों की समाप्ति की घोषणाएं की, जिससे हजारों कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं।जानकारी के अनुसार 2024 में आईटी सेक्टर में छंटनी का सिलसिला लगातार जारी रहा है, जिसमें सैकड़ों टेक कंपनियां प्रभावित हुई हैं।
दरअसल Layoffs.fyi के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अगस्त तक कुल मिलाकर बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की गई है। यहीं जनवरी में 34,107, फरवरी में 15,639, मार्च में 7,403, अप्रैल में 22,423, मई में 11,011, जून में 10,083, जुलाई में 9,051 और अगस्त में 26,024 कर्मचारियों की नौकरियां चली गईं। इस प्रकार, पूरे साल के पहले आठ महीनों में छंटनी की यह लहर आईटी क्षेत्र में एक गंभीर संकट को दर्शाती है।