कुछ महीने पहले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट को होलसेल और रीटेल दोनों लेवल पर लॉन्च किया है। इस साल के अंत में इसका विस्तार और भी अधिक होने की संभावनाएं। इसी बीच आरबीआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अजय कुमार चौधरी का बयान सामने आया है। बुधवार को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Digital Currency) के संबंध में आयोजित एक कार्यक्रम में ई-रुपये से जुड़ी कई जानकारी साझा की है। और कहा कि आने वाले समय में डिजिटल करेंसी डिजिटल इकॉनोमी का आधार बनेगा। साथ ही वित्तीय समावेशन और फिजिकल कैश के इस्तेमाल को कम करने में एक अहम भूमिका निभाएगा।
ऐसे होंगे डिजिटल करेंसी के फीचर्स
चौधरी ने ई-रुपये के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “E -Rupee में वो सारे फीचर्स मिलेंगे जो फिजिकल कैश मे मिलते हैं। इससे भी सुरक्षा और लेन-देन के निपटान की सुविधा मिलेगी।” उन्होनें यह भी कहा कि डिजिटल करेंसी के जरिए अन्य पेमेंट्स के अन्य सिस्टम को बदलना या उसे रीप्लेस करना नहीं है। बल्कि उसमें वर्तमान में उपलब्ध पेमेंट्स के तरीके में एक और जोड़ना है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए कहा कि ई-रुपये के डिजाइन के लिए ऑनलाइन कार्यक्षमता प्रपत्र मौलिक विचारों में से है, जो फिजिकल करेंसी को भी परिभाषित करती है।
साल 2022 में डिजिटल करेंसी के प्रोसेस में आई तेजी
एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के मुताबिक पिछले डिजिटल करेंसी के कार्य प्रक्रिया में तेजी हुई थी। अभी भी ग्लोबल जीडीपी के 95 फीसदी के 115 देश इसकी खोज में लगे जैन। वहीं भारत समेत 60 देशों में इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू भी हो चुका है। आरबीआई के अन्य अधिकारी ने बताया कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के यूजर्स की संख्या इस महीने के अंत तक 50,000 तक पहुँच सकती है।
दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंचेगा ई-रुपया
कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय बैंक के ईडी ने यह भी कहा कि ई-रुपया रीमोट क्षेत्रों में ओफलिने लेन-देन के लिए फायदेमंद होगा। साथ ही फिलहाल इसे अलग-अलग ऑप्शन में उपलब्ध करवाने की तैयारी भी जारी है। इसके व्यापक उपयोग भी आसान होगा। पायलट प्रोजेक्ट के विभिन्न स्टेज के बाद इसकी फाइनल लॉन्चिंग होगी।