Success Story of Chandubhai Virani : फूड इंडस्ट्री भारत में बहुत ही बड़े लेवल पर फैली हुई है। हर कोई अपने स्वाद का जादू लोगों तक बिखरना चाहता है। ऐसे में लोग तरह-तरह के फूड्स बाजार में लॉन्च करते हैं, जिनमें से कुछ स्वाद में काफी ज्यादा टेस्टी होता है। जिस कारण वह कंपनी बनते देर नहीं लगती, तो कुछ का स्वाद थोड़ा फिका रहता है। इस वजह से वह फ्लॉप हो जाती है। ऐसी ही एक स्टोरी आज हम आपको बताने वाले हैं, जोकि महज 10 हजार रुपये से शुरू की गई थी, लेकिन आज इसका कारोबार कई राज्यों में फैला हुआ है। यह हेल्दी स्नैक्स बनाने वाली देश की सबसे लीडिंग कंपनियों में से एक है, जिसके नाम का ब्रांड ही लोगों के लिए काफी है।
किसान परिवार में हुआ जन्म
दरअसल, आज हम आपको बालाजी वेफर्स के फेमस नमकीन ब्रांड के को फाउंडर चंदुभाई विरानी की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं। जिनका जन्म साल 1972 में हुआ था, जोकि एक किसान परिवार से थे। शुरुआती दिनों में उन्होंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की और पैतृक संपत्ति के तौर पर उन्होंने अपने पिताजी से 20,000 प्राप्त किया। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 15 साल थी। परिवार में आर्थिक तंगी के कारण चंदुभाई ने अपनी पढ़ाई 10वीं के बाद जारी नहीं रखी। वह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए नौकरी की तलाश में जुट गए। इस दौरान उन्हें स्ट्रांग सिनेमा में नौकरी मिली, जहां वह कैंटीन में काम करते थे। इसके लिए उन्हें 90 रुपये सैलरी के तौर पर हर महीने मिलती थी। यहां वह फिल्मों के पोस्टर चिपकाने के अलावा साफ-सफाई का काम भी करते थे। केवल इतना ही नहीं, वह रात में सिनेमा घरों में सीटों की मरम्मत भी करते थे।
ऐसे बदली किस्मत
चंदुभाई ने अपने जीवन में ऐसे हालात भी देखे हैं, जब उनकी जेब एक समय 50 रुपये भी नहीं थे, लेकिन किस्मत ने कुछ ऐसा बदलाव किया कि वह साल 1982 में घर पर ही चिप्स बनाने का काम शुरू कर दिए। इसके लिए उन्होंने मात्र 10 हजार रुपये निवेश किए थे। हालांकि, वह कैंटीन में पहले चिप्स बनाने का ही काम करते थे। इसलिए उन्हें इन काम का आइडिया था। साथ ही वह ऐसा भी जानते थे कि आलू छिलने और काटने की मशीन काफी महंगी आती है, जितना उनके पास था नहीं, इसलिए उन्होंने खुद से दिन-रात मेहनत करके एक मशीन बनाई। जिसकी कीमत 5 हजार रुपये थी। हालांकि, कई बार वह मशीन चलते-चलते काम करना बंद कर देती थी, लेकिन चंदुभाई ने हार नहीं मानी। जिसके बाद देखते-ही-देखते उनका यह कारोबार 25 से 30 दुकानों तक फैल गया। वहीं, साल 1984 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बालाजी रखा साल। फिर साल 1989 में काफी कुछ बदल गया और चंदुभाई ने इस बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए बैंक से 50 लाख रुपए लोन लिए और राजकोट में एक फैक्ट्री शुरू की जोकि गुजरात का सबसे बड़ा आलू वेफर प्लांट था।
चंदुभाई वीरानी की नेट वर्थ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चंदुभाई विरानी की नेट वर्थ 4,000 करोड रुपए से भी अधिक का है। उनका यह कारोबार गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश सेमत यूपी जैसे बड़े राज्यों में फैला हुआ है। इस कंपनी में 5,000 से अधिक लोग नौकरी करते हैं। इतनी बड़ी कंपनी के मालिक होने के बावजूद चंदुभाई बहुत ही आम जिंदगी जी रहे हैं। आज की यह दिलचस्प सक्सेस स्टोरी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक बन सकती है, जो लोग कठिन परिस्थिति में मेहनत करना छोड़ देते हैं और अपने लक्ष्य को भूलकर दूसरे काम में लग जाते हैं। ऐसे में वह कभी भी सफलता नहीं हासिल कर पाते।