Boroline Success Story : बोरोलिन क्रीम ने आज भी बाजार में अपनी एक विशेष पहचान बनाए रखी है, भले ही आज के समय में कई तरह के उत्पाद उपलब्ध हों। बोरोलिन का 93 साल का सफर इसे एक प्रतिष्ठित ब्रांड बनाता है, जो न केवल एक ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में बल्कि एक आवश्यक फर्स्ट एड आइटम के रूप में भी प्रसिद्ध है। दरअसल, साल 1929 में कोलकाता के गौर मोहन दत्त द्वारा शुरू की गई इस क्रीम का उद्देश्य था कि भारतीय उपभोक्ताओं को किफायती और प्रभावी एंटीसेप्टिक क्रीम मिले। उस समय बाजार में उपलब्ध इम्पोर्टेड और महंगी क्रीमों को देखते हुए बोरोलिन ने अपनी जगह बनाई और हर भारतीय घर की जरूरत बन गई।
बनी हर घर की जरूरत
उस समय बाजार में केवल महंगी और इम्पोर्टेड क्रीम ही उपलब्ध थीं, जिन्हें आम लोग नहीं खरीद सकते थे। ऐसे में बोरोलिन ने एक सस्ती और प्रभावी एंटीसेप्टिक क्रीम प्रदान करके लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया। बोरोलिन क्रीम ने न केवल एक ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में, बल्कि एक फर्स्ट एड बॉक्स के आवश्यक हिस्से के रूप में भी अपनी जगह बनाई। यह क्रीम चोट, जलन, कटने-फटने आदि के लिए बेहद उपयोगी है।
ऐसे पड़ा नाम
बोरोलिन क्रीम का नामकरण ‘बोरिक पाउडर’ से लिया गया है, जो एक एंटीसेप्टिक पदार्थ है। बोरिक पाउडर के एंटीसेप्टिक गुण इसे संक्रमण को रोकने और उपचार में मददगार बनाते हैं। यह हिस्सा लैटिन शब्द ‘ओलियन’ का वेरिएंट है, जिसका अर्थ ‘तेल’ होता है। तेल त्वचा को नमी प्रदान करने और इसे मुलायम बनाने में मदद करता है।
हाथी है लोगो
जब भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तो उस खुशी के मौके पर जीडी फार्मास्युटिकल्स कंपनी के एमडी गौर मोहन दत्ता के बेटे देबासिस दत्ता ने एक बड़ा कदम उठाया। कंपनी ने आम जनता को एक लाख से भी ज्यादा बोरोलिन ट्यूब मुफ्त में बांटी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बोरोलिन क्रीम का उपयोग किया। आज के समय में प्रसिद्ध अभिनेता राजकुमार राव भी बोरोलिन क्रीम में शामिल हैं। बोरोलिन क्रीम की ग्रीन ट्यूब पर मौजूद हाथी का लोगो बहुत महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक है। हाथी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो विशालता, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है।