Virtual Trading : सेबी ने कसा गेमिंग ऐप्स पर शिकंजा, जानिए कैसे होती है शेयरों में वर्चुअल ट्रेडिंग, पढ़ें यह खबर

Virtual Trading : बाजार नियामक सेबी ने अब उन गेमिंग ऐप्स पर नजर तेज कर ली है, जो किसी न किसी रूप में शेयरों की वर्चुअल ट्रेडिंग से जुड़े हुए हैं। जानकारी के अनुसार हाल के समय में इस प्रकार के ऐप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

Rishabh Namdev
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Virtual Trading : सेबी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अब वर्चुअल ट्रेडिंग कराने वाले गेमिंग ऐप्स पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को निर्देश जारी कर दिए हैं। दरअसल बाजार नियामक सेबी ने अब उन गेमिंग ऐप्स पर नजर तेज कर ली है, जो किसी न किसी रूप में शेयरों की वर्चुअल ट्रेडिंग से जुड़े हुए हैं। जानकारी के अनुसार हाल के समय में इस प्रकार के ऐप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। जिसके चलते शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं।

वर्चुअल ट्रेडिंग से जुड़े ऐप्स को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया:

दरअसल बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वर्चुअल ट्रेडिंग से जुड़े ऐप्स को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सेबी ने इन्हें नियंत्रित करने के लिए शेयर बाजारों और डिपॉजिटरी को नए निर्देश जारी किए हैं। जानकारी के अनुसार सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और डिपॉजिटरी से स्पष्ट रूप से यह साफ कर दिया है कि वे किसी भी शेयर की कीमत, विशेष रूप से रियल-टाइम कीमत का डेटा, किसी भी तीसरे पक्ष के साथ साझा न करें। जिसके बाद से ही सेबी का यह कदम वर्चुअल ट्रेडिंग और इस प्रकार की गतिविधियों में लगे ऐप्स के लिए प्रतिकूल माना जा रहा है।

इस वजह से बाजार नियामक को समस्या हो रही है:

जानकारी के मुताबिक इस विषय पर सेबी का कहना है कि यदि डेटा का उपयोग केवल शिक्षा या मनोरंजन के लिए किया जा रहा है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन यदि वर्चुअल ट्रेडिंग में किसी उपयोगकर्ता के प्रदर्शन के आधार पर मौद्रिक प्रोत्साहन दिए जाते हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं है। इस स्थिति में यह डब्बा ट्रेडिंग के समान हो जाता है, जो कि अवैध है।

जानें कैसे काम करता है वर्चुअल ट्रेडिंग?

वर्तमान में बाजार में कई ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो गेमिंग ऐप्स की श्रेणी में आते हैं। ये ऐप्स शेयर बाजार के वास्तविक समय के डेटा का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को वर्चुअल ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। दरअसल इसमें शेयरों की खरीद-बिक्री का खेल शामिल होता है। लेकिन ये गेम्स वास्तविक शेयर बाजार की खरीद-बिक्री पर ही आधारित होते हैं।

दरअसल ये जो ऐप्स है उनके फीचर्स भी बिल्कुल वैसे ही वर्क करते हैं, जैसे वास्तविक शेयरों की खरीद-बिक्री के फीचर्स होते हैं। आपको बता दें कि इसमें केवल इतना ही अंतर यह होता है कि गेम यानी वर्चुअल ट्रेडिंग में शेयरों की खरीद-बिक्री में वास्तविक पैसे का उपयोग नहीं होता है।

न्यूज प्लेटफॉर्म पर भी नहीं पड़ेगा इसका कोई असर:

इसके साथ ही यह भी साफ हो गया है कि न्यूज प्लेटफॉर्म पर सेबी के निर्देशों का असर नहीं पड़ेगा। बीएसई और एनएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज तथा एनएसडीएल और सीडीएसएल जैसी डिपॉजिटरी कई थर्ड पार्टियों को शेयरों की ट्रेडिंग का रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराते हैं। कई न्यूज प्लेटफॉर्म, जिनमें ऐप्स और वेबसाइट्स भी शामिल हैं वे अपने पाठकों के लिए इस डेटा का उपयोग करते हैं। हालांकि अब सेबी के इन नए निर्देशों के चलते यह साफ हो गया है कि इन न्यूज प्लेटफॉर्म पर कोई प्रभाव नहीं होगा।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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