ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार ने कंप्लायंस को सख्त करने के लिए ये कदम उठाया है। इसके अलावा इस कदम को रेवेन्यू लीकेज रोकने की तरफ भी महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
E-invoicing को ऐसे समझें कि ये ऑनलाइन की जाने वाली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत इनवॉइस ऑनलाइन अपलोड करना होता है। इनवॉइस अपलोड होने के बाद एक नंबर मिलता है। इस नंबर के जरिए इनवॉइस से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके साथ ही ई बिल के लिए रिटर्न भरने में भी इसका आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
ये भी हो सकता है बड़ा कदम
खबर है कि सरकार जीएसटी में फेक बिल, रिफंड और रजिस्ट्रेशन के लिए भी खास अभियान चलाएगी। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं। ये अभियान 16 मई से शुरू होकर 16 जुलाई तक जारी रहेगा। यानी ये पूरे दो महीने जारी रहेगा। इस अभियान में टैक्स से जुड़े अधिकारी मौजूद होंगे।
सरकार ने डेटा एनालिटिक्स और रिस्क पैरामीटर्स को ध्यान में रखते हुए फेक जीएसटीआईएन को पहचानने के लिए भी निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही एक नोडल अधिकारी को तुरंत नियुक्त करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं ताकि केंद्र और राज्य के बीच बेहतर कॉर्डिनेशन स्थापित हो सके।
*Disclaimer :- यहाँ दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई सामान्य जानकारी है, इसलिए बैंक या जानकर व्यक्ति से सलाह लेकर ही उचित काम करें। Mpbreakingnews दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।