UGC Regional Language UG Courses : यूजीसी द्वारा छात्रों के लिए बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके तहत बच्चे स्थानीय भाषा में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। इसका लाभ ऐसे बच्चों को मिलेगा। जिनकी पकड़ स्थानीय भाषा पर अच्छी है लेकिन वह अंग्रेजी भाषा के साथ सहज नहीं है। ऐसे बच्चे स्थानीय भाषा में ग्रेजुएशन कर सकेंगे। यूजीसी बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्स में अब स्थानीय भाषा का लाभ छात्रों को मिलेगा।
शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार लाने यह तैयारी
दरअसल जनजातीय भाषाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार लाने के लिए UGC द्वारा यह तैयारी की गई है। मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि उच्च शिक्षा के पाठ्य पुस्तक अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसमें आदिवासी भाषाओं को भी शामिल किया जाएगा। मंत्री धर्मेंद्र प्रधान प्रधान के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा भारतीय भाषाओं में पुस्तकों का अनुवाद करवाया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्थानीय भाषा में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे आदिवासी समुदाय को बड़ा लाभ मिलेगा।
अंग्रेजी की किताबों का अन्य भाषाओं में होगा अनुवाद
यूजीसी द्वारा शुरुआत में अंग्रेजी की किताबों का तेलुगू, तमिल, मलयालम, उड़िया, मराठी, कन्नड़, गुजराती, बंगाली आदि भाषाओं में अनुवादित किया जाएगा। छात्र बीए बीएससी व बीकॉम की पढ़ाई स्थानीय भाषा में कर सकेंगे। इसके अलावा अपनी मातृभाषा से भी अंडरग्रैजुएट कोर्स की पात्रता रखेंगे।
1 साल में होगा कई किताबों का अनुवाद
फिलहाल यूजीसी द्वारा यूजी के लिए तैयारी की जा रही है। यदि यूजीसी का यह प्लान यूजी कोर्स के लिए सफल रहता है तो इसे पीजी कोर्स में भी लागू किया जाएगा। अंग्रेजी की किताबों का स्थानीय भाषा में अनुवाद किया जाएगा। माना जा रहा है कि 1 साल में कई किताबों का अनुवाद पूरा कर लिया जा सकता है। इसका लाभ यह होगा कि अनुवादक के रूप में भी कई सारे लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार की माने तो आयोग द्वारा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि स्थानीय भाषा की किताबें ज्यादा महंगी ना हो। इसके लिए आयोग नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत रहेगा। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीयरसन इंडिया सहित न्यू एज पब्लिशर्स और कई पब्लिशर्स को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना है। इसके अलावा दो जनजातीय विश्वविद्यालय खोले जाने की तैयारी की जा रही है।
भारतीय ज्ञान प्रणाली के संकाय सदस्य के प्रशिक्षण के रूप में भी दिशा निर्देश
इससे पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली के संकाय सदस्य के प्रशिक्षण के रूप में भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। खगोल विज्ञान, वैदिक गणित सहित भारतीय आर्थिक इतिहास, महाभारत और अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्रों में भी पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। साथ ही रसायन विज्ञान, धातु विज्ञान सहित भारतीय आयुर्वेद आदि क्षेत्रों में भी छात्र को प्रशिक्षण का कार्य पूरा करवाया जाएगा। इसीलिए भारतीय ज्ञान प्रणाली पर दिशा निर्देश का मसौदा तैयार किया गया। 28 दिसंबर तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं साथ ही 10 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा दिशा-निर्देश भी तैयार किए गए हैं।
वहीं केरल राज्य उच्च शिक्षा परिषद द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली पर्सन का प्रशिक्षण के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मसौदा दिशा निर्देश पर एक विशेषज्ञ तैयार करने के लिए एक समिति गठित की गई है। समिति द्वारा राज्य में घटक महाविद्यालय की स्थापना के लिए एक मसौदा कानून तैयार करने का भी निर्णय लिया गया है। आईकेएस अध्ययन में विभिन्न विषय जैसे धातु संबंधी विरासत, धर्मशास्त्र, महाभारत और अर्थशास्त्र के संबंध में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे आदि सहित हड़प्पा नगर नियोजन, पवित्र पारिस्थितिकी और वेदों में गणित और भारतीय खगोल विज्ञान आदि मूल बातें शामिल रहेंगे।