UGC : शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव, देश में खुलेंगे विदेशी विश्वविद्यालय के कैंपस, यूजीसी की अनुमति होगी आवश्यक, PhD प्रवेश पर बड़ी अपडेट, मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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UGC Foreign University-PhD Admission Guideline: यूजीसी द्वारा बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके तहत देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाया जाएगा। सभी स्तर के शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव के लिए नए नियम और कायदे तैयार किए जा रहे हैं। इसी बीच यूजीसी द्वारा हाल ही में ग्रेजुएशन और पीएचडी कोर्स के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की गई थी। जिसमें महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। देश में यूजीसी की सहमति से विदेशी विश्वविद्यालय भी अपनी शाखा खोल सकेंगे। जिसका लाभ देश के बच्चों को होगा।

पीएचडी को लेकर नियम तय किए गए UGC की तरफ से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि पीएचडी एडमिशन के लिए योग्यता, एडमिशन प्रक्रिया, डिग्री की अवधि में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। नई गाइडलाइन के तहत 4 वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने वाले, 3 साल ग्रेजुएशन के साथ 2 वर्षीय मास्टर डिग्री करने वाले उम्मीदवार पीएचडी में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकेंगे।

PhD की पात्रता

मास्टर डिग्री करने वाले पीएचडी प्रवेश उम्मीदवारों के लिए नियम पूर्व की तरह ही समान होंगे जबकि 4 वर्षीय बैचलर डिग्री में न्यूनतम 75% अंक होना अनिवार्य होगा। 55% न्यूनतम अंक से मास्टर करने वाले PhD की पात्रता रखेंगे, इसके अलावा एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 फीसद अंक की छूट दी जाएगी।

शोध के अनिवार्य प्रकाशन की बाध्यता समाप्त 

इसके अलावा न्यूज़ द्वारा पीएचडी थीसिस जमा करने से पहले पीर रिव्यूड जनरल में शोध के अनिवार्य प्रकाशन को भी समाप्त किया गया है। मायावती का कहना है कि शोधार्थी द्वारा कई पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के लिए भुगतान करने की प्रथा पर अंकुश लगाने यह कदम उठाया गया है।

अंशकालीन पीएचडी की भी अनुमति

इसके अलावा अंशकालीन पीएचडी की भी अनुमति दी गई है। 2016 के नियम के तहत इसे बंद किया गया था। कामकाजी प्रोफेशनल और छात्रों के लिए टाइम बेस पर पीएचडी कोर्स लागू किया गया है। हालांकि इसके लिए उन्हें कंपनी से एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य होगा

कोर्स की अवधि को भी बढ़ाकर 6 वर्ष किया गया

नए नियम के तहत अभी कोर्स की अवधि को भी बढ़ाकर 6 वर्ष किया गया है। न्यूनतम 2 वर्ष अधिकतम 6 वर्ष के बीच छात्रों को पीएचडी कोर्स को पूरा करना अनिवार्य होगा। हालांकि दिव्यांग और महिलाओं को इस में 2 साल की छूट दी जाएगी। इतना ही नहीं महिला उम्मीदवारों को 240 दिन के लिए मातृत्व अवकाश भी प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा एमफिल पास उम्मीदवारों को भी पीएचडी करने की पात्रता दी जाएगी। हालांकि इस साल से एमफिल कोर्स को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

विदेशी विश्वविद्यालय की शाखा देश में खुलेगी

वहीं विदेशी विश्वविद्यालय की शाखा देश में खुलेगी। यूजीसी के नियम के तहत विदेशी विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी भारत के परिसर में खुलेगी। छात्र इसमें शिक्षा अध्ययन कर पाएंगे। इसके लिए यूजीसी की मंजूरी आवश्यक होगी। इन परिसर में भारत में स्थापित होने से यूजीसी के नियम का पालन करना अनिवार्य होगा।

हालांकि भारत में शाखा खोले जाने के साथ ही विदेशी विश्वविद्यालय को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट दी जाएगी। इसके लिए विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में भौतिक कक्षा का संचालन कर सकेगी। फुल टाइम कोर्स के साथ ही कक्षा का संचालन करना होगा। ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग माध्यम से इनमें शिक्षा प्राप्त नहीं किए जा सकेंगे।

शुरुआत में 10 साल के लिए ही विदेशी विश्वविद्यालय को मिलेगी मंजूरी

यूजीसी के नियम के तहत शुरुआत में 10 साल के लिए ही विदेशी विश्वविद्यालय को देश में मंजूरी दी जाएगी। वहीं विश्वविद्यालय के परिसरों में आरक्षण नीति लागू करने के सवाल पर यूजीसी प्रमुख का कहना है कि दाखिल के संबंध में सभी नीति निर्धारण विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा किए जाएंगे इसमें यूजीसी की कोई भूमिका नहीं रहेगी।

2 साल के अंदर शुरू किया जाएगा कैंपस 

विदेशी विश्वविद्यालय को भारत में कैंपस शुरू करने के लिए यूजीसी के पास आवेदन करना होगा। स्टैंडिंग कमिटी हर केस पर नजर रखेगी। इसके साथ ही उसकी सिफारिश पर भी चर्चा करेगी। संस्थान के आवेदन के 45 दिन के अंदर स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश की जाएगी, इसके साथ ही 2 साल के अंदर कैंपस शुरू किया जाएगा।


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