विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग को लेकर लगातार सख्ती दिखा रहा है। हाल ही में यूजीसी ने 18 मेडिकल कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 7 दिनों के भीतर जवाब भी मांगा है। इन सभी संस्थानों पर एंटी-रैगिंग निर्देशों का अनुपालन न करने का आरोप हैं।
इस लिस्ट में आंध्रप्रदेश और बिहार के 3-3 और पुडुचेरी और असम के 2-2 मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। वहीं दिल्ली, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के एक-एक कॉलेज से यूजीसी ने जवाब मांगा।
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यूजीसी ने क्यों उठाया यह कदम?
इस संबंध में यूजीसी के सचिव मनीष जोशी का कहना है कि ये कॉलेज रैगिंग निरोधक विनियमन 2009 के तहत अनिवार्य नियमों का अनुपालन करने में विफल रहे। संज्ञान में आया है कि संस्थानों ने विद्यार्थियों से रैगिंग विरोधी शपथ पत्र भी प्राप्त नहीं कर पाए। उन्होनें कहा, “यह कदम HEIs में रैगिंग की घटना को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। नियमों का पालन न होने से छात्रों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ जाता है।”
मध्यप्रदेश के इस कॉलेज को नोटिस जारी
आयोग ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसकी सीट क्षमता 180 है। इसके अलावा एनआईआरएफ रैंकिंग में शामिल एमबीबीएस के टॉप मेडिकल कॉलेज वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफरदरगंज अस्पताल (दिल्ली) और हमदर्द चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंस्थान (दिल्ली) को भी नोटिस जारी किया गया है।
इन कॉलेजों को भी नोटिस जारी
आंध्रप्रदेश में स्थित आंध्रप्रदेश मेडिकल कॉलेज, विशाखापट्टनम, गुन्टूर मेडिकल कॉलेज और कुरनूल मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किया गया है। बिहार गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, बेतिया, मधुबनी मेडिकल कॉलेज और कटिहार मेडिकल कॉलेज भी इस लिस्ट में शामिल हैं। असम का लखीमपुर मेडिकल कॉलेज, यूपी का डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, पश्चिम बंगाल का स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान को भी नोटिस जारी किया गया है। तमिलनाडु के सविता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज और क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज भी लिस्ट में शामिल हैं।