UGC Update: यूनिवर्सिटी, कॉलेज और उच्च शिक्षा संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को कम करने के लिए यूजीसी ने बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा संस्थानों गाइडलाइंस और दिशानिर्देश जारी किया है। जाति सूचक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश भी आयोग ने उच्च शिक्षा संस्थानों को दिया है। यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को कुछ बिंदुओं पर काम करने को कहा है।
वेबसाइट पर नया पेज बनाने की सलाह
यूजीसी ने अधिकारियों/संकाय सदस्यों को उनके सामाजिक मूल के आधार पर एससी/एसटी छात्रों के खिलाफ भेदभाव के किसी भी कार्य से बचने को कहा है। विश्वविद्यालय और संस्थानों को वेबसाइट पर एक पेज बनाने की सलाह दी है, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के द्वारा जातिगत भेदभाव की शिकायतों को दूर का काम करें। इस उद्देश्य के लिए रजिस्ट्रार प्रिंसिपल के कार्यालय में एक शिकायत रजिस्टर भी संस्थान रख सकते हैं।
जाति-आधारित भेदभाव से संबंधित शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई-यूजीसी
यूजीसी ने कहा, “यदि ऐसी कोई घटना अधिकारियों के संज्ञान में आती है तो दोषी अधिकारी या संकाय सदस्य के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।” विश्वविद्यालय और उसके घटक संबंध कॉलेज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी या संकाय सदस्य किसी भी समुदाय के खिलाफ किसी भी प्रकार का भेदभाव ना करें। छात्रों की श्रेणी विश्वविद्यालय एससी/एसटी/ओबीसी छात्र/शिक्षकों/ गैर शिक्षक कर्मचारियों से प्राप्त भेदभाव की शिकायतों पर गौर करें। इसके लिए एक समिति का गठन भी करने का निर्देश भी यूजीसी ने दिया है। समिति में एससी, एससी और ओबीसी श्रेणी के सदस्य भी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय संस्थान के अधिकारियों और संकाय सदस्यों को जाती भेदभाव घटनाओं को लेकर अधिक संवेदनशील होने की सलाह देने को कहा है।
31 जुलाई तक मांगी रिपोर्ट
आयोग ने उच्च शिक्षा संस्थानों ने 31 जुलाई तक इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी है। विवि, कॉलेज और अन्य संस्थान UAMP पोर्टल या http://ugc.ac.in/uamp/ वेबसाइट पर जानकारी साझा करने को कहा है।