कांग्रेस विधायक ने गृह मंत्री से पूछा, एमपी में कैसा कानून राज! 64 f.i.r. के बाद भी सुब्रतो राय नहीं गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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भोपाल डेस्क रिपोर्ट। कालीचरण बाबा की छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और उस पर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री के बयान को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस विधायक मनोज चावला ने गृह मंत्री से कहा है कि वे डीजीपी से पूछे कि 64 FIR होने के बाद भी सहारा प्रमुख सुब्रत राय अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए।

गुरुवार की सुबह से ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित देशभर में कालीचरण बाबा की रायपुर पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी सुर्खियों में है। इस गिरफ्तारी को लेकर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि गिरफ्तारी का तरीका गलत है। छत्तीसगढ़ की पुलिस ने न केवल संघीय व्यवस्था का उल्लंघन किया है बल्कि प्रोटोकॉल को भी तोड़ा है। उन्हें नियमानुसार सूचना देकर ही बाबा की गिरफ्तारी करनी थी। नरोत्तम के इस बयान के बाद रतलाम के आलोट से कांग्रेस विधायक मनोज चावला ने गृहमंत्री को सुझाव दिया है कि )”वह बजाये छत्तीसगढ़ के डीजीपी से बात करने के अपने प्रदेश के डीजीपी से बोले कि जिस सुब्रतो राय के खिलाफ 64 FIR दर्ज हैं, उसे गिरफ्तार करें। छत्तीसगढ़ में कानून का राज है। कानून की सरकार है और मामला दर्ज होने के तीन दिन के भीतर बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन मध्यप्रदेश में 64 FIR. होने के बाद भी सुब्रतो राय की गिरफ्तारी नहीं हुई है। कांग्रेस विधायक ने मांग की है कि सुब्रतो राय को जल्द गिरफ्तार किया जाए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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