कोरोना का कहर,75 साल के पॉजिटिव वृद्ध की मौत, अब तक हुई 9 मौत

Gaurav Sharma
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दतिया, सत्येन्द्र रावत। जिले में कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। अब रोजाना कोरोना पोजिटिव केस सामने आ रहे है ,वहीं चिंता की बात यह है कि इससे मौतें भी हो रही है। बीती रात जिला अस्पताल में एक 75 वर्षीय व्रद्ध सत्तार खान की मौत हो गयी ।

सीएमएचओ डॉ एस एन उदयपुरिया ने बताया कि मृतक की 30 अगस्त को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और जिला अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें ग्वालियर रेफर किया गया था। जिसके बाद वो 1 अगस्त को पुनः ग्वालियर से दतिया लाये गए ओर यहां icu में थे। कल रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे सत्तार खान की मौत हो गई।

वृद्ध की मौत के बाद डॉ उदयपुरिया ने जिला प्रशासन कलेक्टर ,एसडीएम एवं नगरपालिका को इस मौत की सूचना दी। सुबह ही नगरपालिका के कुछ कर्मचारी पीपीई किट पहनकर शव वाहन लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और शव को सावधानी पूर्वक जिला अस्पताल से मृतक के घर के बाहर शाहनी मौहल्ला लाया गया। यहां कुछ देर परिजनों को मृतक के अंतिम दर्शन कराने के बाद परिजनों में से केवल 5 व्यक्तियों को कब्रस्तान जाने की अनुमति स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गयी।

बता दें इससे पहले जिला में 8 मौत कोरोना से हो चुकी है। इसके अलावा लगभग सात सौ व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं और लगभग डेढ़ सौ एक्टिव है। मृतक सत्तार खान मुस्लिम समाज के लोकप्रिय व्यक्ति एवं समाजसेवी थे। सत्तार बाबा के निधन से शहर के मुस्लिम समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है।

जिले में कोरोना से कुल 9 मौतें

जिला स्वास्थ्य एव मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसएन उदयपुरिया ने बताया है कि जिले में अभी तक कोरोना से नो मोते हो चुकी है। जिसमे अस्पताल में दो, कन्टेमेंट जॉन में एक ओर इसके अलावा जिले से बाहर अन्य क्षेत्रों में 6 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमे सत्तार बाबा की मौत अस्पताल में हुई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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