दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों के कारण अब प्रशासन अन्य उपायों पर विचार कर रहा है। दमोह में इन उपायों पर विचार के साथ उनको प्रयोग में किया जाना भी शुरू हो गया है। ऐसे हालात में अब कम लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को उनके घरों में ही इलाज दिए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, इसको लेकर कलेक्टर ने कंट्रोल रूम का शुभारंभ किया।
दरअसल, दमोह जिला मुख्यालय पर कलेक्टर तरुण राठी के निर्देश पर एक कंट्रोल रूम की स्थापना आयुर्वेद अस्पताल में की गई है। यहां से कम लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को गाइड किया जाएगा। डॉक्टरी भाषा में ऐसे मरीजों को एसिंप्टोमेटिक मरीज कहा जाता है, जिनको कम लक्षण कोरोना के आते हैं। ऐसे मरीजों के उनके घरों में ही बेहतर सुविधाओं के साथ आईसोलेट किया जाएगा। जहां कलेक्टर तरुण राठी ने कंट्रोल रूम का शुभारंभ किया, वहीं उन्होंने इस विषय को लेकर विस्तार से जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि पॉजिटिव मरीज जहां अपने घर से किसी भी तरह की जानकारी जारी किए गए नंबर पर ले सकता है. यह नंबर एसटीडी कोड के साथ 1075 रखा गया है.
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।