कोरोना ने तोड़ी बैंड बजाने वालों की कमर, आर्थिक तंगी से जूझ रहे दो हजार से ज्यादा परिवार

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार

आज मेरे यार की शादी है, ले जाएंगे,ले जाएंगे दिल वाले दुलहिनिया ले जाएंगे…ये वो गाने है जो कि हर बारात में बैंड बजाने वाले जरूर बजाते थे। पर विवाह के ये मधुर गीत कोरोना वायरस के लॉकडाउन में लगता है कही खो गए है।अब न तो बारात निकल रही है और न ही बैंड बजाने वाले नजर आ रहे है। मार्च 2020 के बाद से शादी-विवाह, अन्य समारोह में बैंड बजाने वाले लगता है कही खो गए है,  ऐसे लगता है जैसे कि कभी हमे विवाह-शादी में बैंड की जरूरत ही नही है।

लॉक डाउन में लॉक हो गई बैंड की मधुर आवाज

शादी-विवाह के समय अगर बैंड वाले न आए तो लगता था कि सब कुछ अधूरा है और जब जैसे ही बैंड बजते थे वैसे ही लगता था कि अब बारात निकलनी है,पर कोरोना वायरस के कारण लगे लॉक डाउन ने बैंड वालो की कमर तोड़ दी है। बीते 5 माह से बैंड व्यवसायियों बेरोजगार हो गए है। इनकी दूकानों में आज सन्नटा पसरा हुआ है। 15 अगस्त-मोहर्रम-गणेश चतुर्थी जैसे कई अन्य पर्वो पर बैंड वालो की चांदी होती थी, आलम ये होता था कि एक कार्यक्रम में है बैंड संचालक लाखो रु कमा लेते थे पर कोरोना वायरस के चलते लगे लॉक डाउन और उसके बाद जिला प्रशासन के आदेश ने बैंड का व्यवसाय ही बंन्द कर दिया है।

जिला प्रशासन का आदेश,किसी भी कीमत में न ले ऑर्डर

जबलपुर शहर में बैंड बजाने वालो को जिला प्रशासन ने सख्त आदेश दिया है कि किसी भी कीमत में बैंड बजाने का ऑर्डर न ले और अगर कोई आदेश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बैंड संचालको ने जिला प्रशासन ने विनती कर आग्रह किया है कि कार्यक्रम में कम से कम सोशल डिस्टेन्स के साथ चार लोगों को शामिल होने की मंजूरी दी जाए पर बैंड संचालको के इस आग्रह को भी प्रशासन ने सिरे से ठुकरा दिया इतना ही नही पुलिस की धमकी थी कि अगर किसी ने भी आदेश की अवहेलना की तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

5 माह से काम है बंन्द,जेवर-गहने बेचकर चल रहा है घर

सिर्फ भारत ही नही बल्कि विदेश में भी अपने बैंड की धूम मचाने वाले विशाल बैंड के संचालक मनीष बताते है कि मार्च माह के बाद से बैंड का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो गया है। न शादी हो रही है और न ही अन्य कार्यक्रम,कभी अगर कोई छोटा मोटा काम मिल जाता है तो उसमें पुलिस प्रशासन के आदेश आ जाते है कि अगर चार लोग से ज्यादा लोग शामिल हुए तो कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन के इस डर से शहर भर के बैंड संचालक आज डरे सहमें है,आज हालात ये हो गए है कि घरों के जेवर-गहने बेचकर अपना पेट पाल रहे हैं पर सरकार है कि इस और ध्यान ही नहीं दे रही है।

जबलपुर में 100 से ज्यादा बैंड ग्रुप,2,000 से ज्यादा परिवारों का चलता है गुजारा

जबलपुर जिले में करीब 100 से ज्यादा बैंड संचालक है और इनके ग्रुप में 2,000 से ज्यादा लोग है। कोई ब्रास बजाता है तो कोई शहनाई तो कोई बैंड, इन सबको मिलाकर करीब 2,000 लोग है जो कि बैंड के व्यवसाय से जुड़े हुए है। लेकिन कोरोना वायरस के इस लॉक डाउन ने बैंड संचालको को भूखे मरने की कगार में ला खड़ा कर दिया है।आज बैंड का न व्यापार है और न ही आमदानी ऐसे में आज बैंड के व्यावस्य से जुड़े कलाकार भूखे मरने की कगार में आ खड़े हुए है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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