भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के जाने-माने गैस्ट्रोलॉजिस्ट और गांधी मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष रह चुके डॉक्टर आरके जैन को आखिरकार कोरोना ने हरा दिया। चेन्नई में मंगलवार शाम उनकी मौत हो गई। वे पिछले काफी लंबे समय से कोरोना से जूझ रहे थे और उन्हें पिछले महीने ही भोपाल से चेन्नई शिफ्ट किया गया था।
दो माह पहले जब डॉक्टर आरके जैन को कोरोना संक्रमित होने का पता चला तब उन्हें भोपाल के नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। लेकिन वहां उनकी स्थिति बिगड़ती गई और फेफड़ों में संक्रमण लगातार बढ़ता गया। आखिरकार जब डॉक्टरों को लगा कि यहां स्थिति नहीं सुधरेगी तो उन्हें तत्काल एयर एंबुलेंस के माध्यम से चेन्नई शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों ने जांच के दौरान पाया कि उनके फेफड़े पूरी तरह से कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं और इसलिए यह निर्णय लिया गया कि उनके फेफड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। 15 दिन पहले उनकी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी लेकिन उनके शरीर में उन ट्रांसप्लांट फेफड़ों को स्वीकार नहीं किया और अंत में डॉ जैन इस दुनिया में नहीं रहे।
डा.जैन भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से जनरल मेडिसिन में एमडी किया था। उनको गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के क्षेत्र में तीन दशकों से ज्यादा का अनुभव था। वे लीवर रोगों के उपचार के विशेषज्ञ माने जाते थे। डॉ जैन डायग्नोस्टिक और चिकित्सीय जी आई एंडोस्कोपी करने में भी एक्सपर्ट थे। वे मध्य प्रदेश के चिकित्सा समाज के साथ-साथ भोपाल में बेहद लोकप्रिय थे। उनके जाने से चिकित्सा जगत का एक विशेषज्ञ खो दिया है। मध्य प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.देवेंद्र गोस्वामी के अनुसार डॉक्टर जैन का जाना एक ऐसी कमी है जो कभी पूरी नहीं हो सकती। डॉ जैन के अभिन्न मित्र डॉ श्याम अग्रवाल का कहना है कि वे बेहद विनम्र, सहदय और मानवीय गुणों से भरपूर एक ऐसा व्यक्ति थे जिसकी कमी हमेशा खलती रहेगी। मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के संरक्षक डॉ ललित श्रीवास्तव ने डॉ जैन के अवसान को एक कभी न पूरी होने वाली कमी बताया है।