इस जिले में कोरोना हुआ बेकाबू, दिन बा दिन बढ़ रही मृत्यु दर

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल।जिले में काेराेना पाॅजिटिव केसाें की संख्या 1000 से ऊपर पहुंच गई है। जबकि जिले में ठीक हाेने वाले 601 लाेग ही हैं। साेमवार काे 40 पाॅजिटिव केस मिले हैं। सबसे ज्यादा 21 केस इटारसी और 8 हाेशंगाबाद, 9 पिपरिया में मिले हैं। लगातार पाॅजिटिव केस बढ़ने से जिले में संक्रमण दर का प्रतिशत 7.45 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

17 मरीज ठीक हुए और 200 मरीजाें की रिपाेर्ट निगेटिव आई हैं। इटारसी में 21 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार न्यास कॉलोनी से 5, कावेरी स्टेट फेज वन से 2, इंदिरा कॉलोनी 1, तीसरी लाइन 1, गोकुलधाम कॉलोनी 2, मालवीयगंज 1, गणेश नगर कॉलोनी 1, वार्ड 18 1, नाला मोहल्ला 2, जमानी रोड की दीवान कॉलोनी से 2, पलकमती नगर 1, न्यूयार्ड 2 पॉजिटिव मरीज मिले हैं।

आज 2 लोगों की मृत्यु हुई है, एक मृत्यु भोपाल के पीयूल्स अस्पताल में दर्ज की गई, वहीं दूसरी इटारसी कोविड सेंटर में हुई है। जिले में कुल मौत की संख्या -34 पहुंच गई है। जिले में बढ़ते हुए कोविड के मामलों को देखते हुए किराना व्यपारियो ने गुरुवार व शुक्रवार को शहर की किराना दुकाने बन्द रखने का निर्णय लिया है, वही सराफा बाजार एसोसिएशन ने होशंगाबाद का सराफा बाजार एक हफ्ते तक बंद रखने का निर्णय लिया है।कोरोना की रफ्तार को रोकने अब व्यापारी भी कर रहे प्रशासन का सहयोग इटारसी के व्यापारी नीरज जैन का कहना है कि प्रशासन जो फैसला करेगा हमे मजूर होगा हम सुरक्षित रहेंगे तभी तो व्यापार कर पाएंगे ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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