इस स्मार्ट सिटी में आए कोरोना के 187 नए केस, आकंड़ा पहुंचा 11 हजार के पार

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे

मुख्यमंत्री के सपनों के शहर में कोरोना की आंधी जारी है और इसी का परिणाम है कि शहर में कोरोना का फैलाव इतनी तेजी से हो रहा है कि अब प्रशासन खुद इस सोच में पड़ गया है कि क्या इंदौर में शहरवासियों की सहमति से राजगढ़ की तर्ज पर स्वैच्छिक लॉक डाउन जैसे प्रयोग का इस्तेमाल किया जाए। दरअसल, शहर की चिंता बढ़ने की एक वजह ये भी है कि अगस्त माह की समाप्ति के पहले यहां कोविड – 19 के संक्रमण के 4 से ज्यादा मामले सामने आ चुके है।

मंगलवार रात को इंदौर में जारी किये गए मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक शहर में संक्रमण के 187 नए मामले सामने आए है। जिसके बाद इंदौर में अब तक कुल पॉजिटिव मरीजो का आंकड़ा 11,860 तक जा पहुंचा है। वही इंदौर में एक्टिव केस की संख्या बढ़कर 3,199 तक जा पहुंची याने की इतने लोगों का इलाज अभी शहर के कोविड अस्पतालों में जारी है। वही मंगलवार को 202 कोरोना से पीड़ित मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है, जिसके बाद शहर में अब तक ठीक हो चुके मरीजों की संख्या 8,290 तक जा पहुंची है।

ये आंकड़े शहर की मुश्किलें बढ़ा रहे है क्योंकि जब से शहर अनलॉक हुआ है तब से ही संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालांकि आर्थिक कारणों के चलते शहर को दोबारा लॉक डाउन की स्थिति में नही ले जाया जा सकता है, लेकिन कुछ निश्चित दिशा निर्देशों के पालन करने की जिम्मेदारी देवी अहिल्या की नगरी में सबकी है। एम. पी.ब्रेकिंग न्यूज को शहर के बढ़ते संक्रमण के मामलो कि चिंता है लिहाजा, मंगलवार से हमने एक मुहिम के तहत कोरोना के कारण और उसके प्राथमिक निवारण को लेकर शहर के अलग-अलग वर्गो से जुड़े लोगों से उनके मन की बात से आपके रूबरू कराने का प्रयास शुरू किया है। इसी कड़ी में आज हमने इंदौर प्रेस क्लब के सचिव और युवा पत्रकार अभिषेक मिश्रा और मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के नए निदेशक डॉ. विकास दवे से बात की।

इंदौर प्रेस क्लब के सचिव अभिषेक मिश्रा के मुताबिक कोरोना की स्थिति इंदौर में लगातार बिगड़ती जा रही है। अब अस्पतालों में जगह नहीं है और आईसीयू फुल हो चुके है और ये समय बहुत निर्णायक मोड़ पर है। उन्होंने बताया संक्रमण के फैलने की वजह ये है कि लोगों ने कोरोना को आसानी से लेना शुरू कर दिया है। वही दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों ने भी शहर को अनलॉक कराने में जल्दबाजी की है। इसके साथ ही लेफ्ट राइट सिस्टम को भी बहुत जल्दी शिथिल कर दिया जो कि वक्त की जरूरत थी।

वही उन्होंने बताया कि नगर निगम ने जो सख्ती मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर दिखाई थी और बाद में निगम को हाथ खींचना पड़े जिसके बाद लोग भी रिलेक्स हो गए। वही जनप्रतिनिधियों ने भी बाजार खुलवाने में जल्दबाजी की और सबसे बड़ा फैक्टर ये कि प्रदेश में आने वाले उपचुनाव के चलते हो रही सियासत के कारण भी मध्यप्रदेश और इंदौर में हालात बिगड़े है। इंदौर से लोग सांवेर गए और वहां से फिर इंदौर लौटे और बड़े बड़े दिग्गज कोरोना की चपेट में आये। बावजूद शहरभर में राजनीतिक आयोजन होते रहे जो आज भी बदस्तूर जारी है। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस रविवार को हो रहे लॉक डाउन में भी प्रेस वार्ताएं होती रही है। ये जो जायका बिगाड़ा है उसका परिणाम आज पूरा शहर भुगत रहा है।

वही मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के नए निदेशक और देवपुत्र के सम्पादक डॉ. विकास दवे ने बताया कि मेरी नजर में दो बात प्रमुखता से सामने आ रही है कि प्रशासन ने प्रारंभ में जितना जीवटता से काम किया था और समाज ने भी अच्छा प्रतिसाद दिया था। उस समय प्रशासन एक एक शख्स की चिंता कर रहा था लेकिन आज हमे विपरीत प्रकार के समाचार सुनाई दे रहे है और ध्यान में ये आ रहा है कि अब व्यक्ति – व्यक्ति की चिंता होना बंद हो गई है और अब संख्या व आंकड़े बनकर रह जा रहा है जो कि एक अच्छा संकेत नही है। वहीं उन्होंने कोरोना के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कहा कि प्रारंभ में समाज की जो सहभागिता थी वो यदि फिर से ही जाए तो काफी हद तक संक्रमण का फैलाव रोका जा सकता है। प्रशासन को सामाजिक संस्थाओं को जोड़कर स्थितियां सुधारी जा सकती है लेकिन आज व्यक्ति को कहने के लिए (व्यथा) कोई स्थान नही है और लोगो के उपचार, रिपोर्ट में देरी सहित अन्य बातों पर प्रशासन ध्यान दे तो बहुत कुछ ठीक हो सकता है।

शहर के बुद्धिजीवी वर्ग की माने तो ये कहा जा सकता है कोरोना के फैलाव के कई कारण है। लेकिन यदि सही दिशा में प्रशासन काम करे और राजनीतिक दल अपनी मंशाओं पर काबू करे और लोग प्रशासन और उनके द्वारा जारी किये गए निर्देशों का पालन करे तो निश्चित हो संक्रमण के फैलाव पर रोक लग सकती है। ऐसे में एम.पी.ब्रेकिंग न्यूज आपसे अपील करता है कि कोरोना के प्रति जागरूकता ही कोरोना से बचाव का बड़ा जरिया है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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