जबलपुर- आज फिर कूदा कोरोना पॉजिटिव मरीज, हई मौत

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। कोरोनो वायरस संकट से लोगों को निज़ात दिलाने सरकारें बड़े बड़े दावे कर रही है,लेकिन सरकार के दावों के उलट अस्पतालो से हैरान करने वाले नज़ारे समाने आने लगे है।ताजा मामला जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बने कोविड केयर सेंटर का है,जहां आज सुबह कटनी जिले के कुँआ गांव में रहने वाले 46 साल के मरीज ने कोरोना संक्रमण से तंग आकर कोविड केयर सेंटर की दूसरी मंजिल के बाथरूम की खिड़की से कूदकर जान देने की कोशिश की।

कोविड केयर सेंटर में मचा हंगामा

मरीज के बाथरूम की खिड़की से नीचे कूदते ही लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया,जिससे देखते ही कोविड केयर सेंटर में हंगामे और अफरा तफरी का माहौल बन गया, दूसरे मंजिल से नीचे गिरने पर लगी चोट के बाद मरीज की हालत गंभीर हो गई,जिसके बाद आनन फानन में मरीज को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के आईसीसीयू यूनिट में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया,चिकित्सकों ने उसे बचाने का प्रयास किया लेकिन आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।

परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

वही घटना के बाद परिजनों में इलाज़ में लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि इलाज़ ठीक से न होने के चलते वे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहते थे लेकिन उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों ने अनुमति नही दी। कोविड केयर सेंटर प्रशासन ने मामले की सूचना अस्पताल प्रशासन के आला अधिकारियों और गढ़ा थाना पुलिस को दी।

ये कोई पहला मामला नही है,जब किसी मरीज ने कूदकर जान देने की कोशिश की हो,इसके पहले भी 3 मरीज ऐसा कर चुके है,जिनमे 23 अगस्त और 28 अगस्त को दो मरीजो ने कूदने की कोशिश की थी। दोनों मरीजो को कर्मचारियों की सतर्कता के चलते कूदने के पहले पकड़ लिया गया था, जबकि सितम्बर माह में कूदे एक मरीज की मौत हो गई थी।

मेडिकल सुरक्षा पर उठे सवाल

कोविड केयर सेंटर से कूदकर जान देने वाली इस चौथी घटना ने मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। इस घटना के बाद एक बार फिर मेडिकल की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे है, कि जब इस तरह की घटना पहले भी हो चुकी है तब ऐसे में मेडिकल प्रशासन ने उससे सबक क्यों नही लिया।सिर्फ वार्ड की खिड़कियों पर जाली लगाकर खाना पूर्ति क्यों की,जबकि उसे बाथरूम की खिड़कियों और ओटीएस पर भी सुरक्षा के इंतजाम करने थे। बहरहाल मेडिकल अस्पताल प्रशासन अब कोविड केयर सेंटर में भर्ती मरीजो को परिजनों और मनोचिकित्सक के सहारे समझाने की कोशिश में जुट गई है,ताकि मरीजों को जिंदगी की एहमियत समझाई जा सके।

कटनी के कुआं गांव का रहने वाला है मरीज

मरीज के मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग से कूदने के बाद तुरंत ही मौके पर तैनात स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ (Health Department Staff) ने घायल मरीज को मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कर दिया। मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर(Ventilator) पर है और बताया जा रहा है कि उसकी हालत काफी नाजुक है। इधर घटना की सूचना मिलने के बाद गढ़ा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और इस पूरे घटनाक्रम की जांच में जुट गई है। गढ़ा थाना प्रभारी राकेश तिवारी के मुताबिक 46 साल के कोरोना पॉजिटीव मरीज (Corona positive patient) को 3 अक्टूबर को कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया था।

कल शाम को भी मरीज ने किया था कूदने का प्रयास

पुलिस के मुताबिक कुंआ गांव के रहने वाले मरीज को लगातार ऑक्सीजन की कमी हो रही थी। डॉक्टर मरीज का इलाज भी कर रहे थे।कल शाम को भी 46 साल के इस मरीज ने खिडकियों को खोलकर बाहर आने की कोशिश की थी पर वार्ड में तैनात स्टाफ ने यह देख लिया और वापस मरीज को पलंग पे शिफ्ट कर दिया था।

क्वारटाईंन होने से मरीज आ जाता है डिप्रेशन में

जबलपुर (jabalpur) के मेडिकल कॉलेज में बीते 2 माह के भीतर यह तीसरी घटना है कि जब कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज ने बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की हो। इससे पहले भी दो व्यक्तियों ने बिल्डिंग से कूदकर जान देने की कोशिश की थी जिसमें कि एक व्यक्ति को बचा लिया गया था जबकि दूसरे कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत हो गई थी। लगातार इस तरह की घटना को देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के सामने एक समस्या खड़ी हो गई है कि आखिर कैसे कोरोना पॉजिटीव मरीजों का दिमाग डायवर्ट करें और कैसे उन्हें समझाया जाए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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