महिला मरीजों ने किया खाने का बहिष्कार, कहा, यहाँ रहे तो और बीमार हो जायेंगे, छुट्टी कर दो

ग्वालियर,अतुल सक्सेना । कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखभाल और अच्छे इलाज के लिये बनाये गए अस्पताल और क्वारेंटाइन सेंटर ही उन्हें बीमार करने लगे हैं। जिसके कारण मरीज परेशान हैं। आयुर्वेदिक कॉलेज के अस्पताल में भर्ती मरीजों का आरोप है कि यहाँ दिया जा रहा खाना उन्हें बीमार कर रहा है। हमारी कोई सुनने वाला नहीं हैं। आठ दिन में ना कोई डॉक्टर देखने आया और ना कोई सेम्पल लिया गया। इससे अच्छा तो हमारी छुट्टी कर दीजिये यहाँ रखने का का फायदा ।

ग्वालियर के आयुर्वेदिक अस्पताल में करीब 40 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती किया गया है इसमें महिला एवं पुरुष दोनों शामिल हैं। यहाँ भर्ती महिलाओं ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिलाओं का आरोप है कि यहाँ के वॉश रूम में ना साफ सफाई होती है ना ढंग का खाना मिलता है। यहाँ भर्ती एक मरीज ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर खाने के क्वालिटी और अव्यवस्थाओं की पोल खोली है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।