कोरोना महामारी को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में लगी एक और जनहित याचिका

Gaurav Sharma
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इंदौर,आकाश धोलपुरे। कोरोना संक्रमण को लेकर इंदौर की हाई कोर्ट में एक और जनहित याचिका लगाई गई है। इस जनहित याचिका में कोरोना महामारी को लेकर हो रही आम जनता को परेशानियों का जिक्र किया है और उससे बचने के लिए कैसे उपाय किए जाएं इन सुझावों को लेकर एक याचिका सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी के द्वारा दायर की गई है।

दरअसल, इंदौर में कोरोना महामारी में संक्रमण के फैलाव को लेकर इंदौर की हाई कोर्ट में एक सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी के द्वारा एक याचिका लगाई गई है। याचिका के संबंध में जानकारी देते हुए किशोर कोडवानी ने बताया कि हमने कई बिंदुओं को लेकर कोर्ट को अवगत कराया है, जैसे कोरोना को लेकर जो इलाज मरीजों का चल रहा है , उस पर एक निगरानी कमेटी बनानी चाहिए। मृत्यु के आंकड़ों को लेकर जो कन्फ्यूजन पूरे प्रदेश में पूरे शहर में हो रहा है उसे दूर किया जाना चाहिए। साथ ही साथ सभी हॉस्पिटलों को राज्य शासन के द्वारा निर्देश दिया जाना चाहिए कि सभी बीमारी का इलाज ओपन होना चाहिए, इसके अलावा किस किस बीमारी में इलाज में कितना पैसा लग रहा है इसकी जानकारी देनी चाहिए ताकि आम जनता भी उससे जागरूक रहे और वर्तमान में आम जनता परेशान हो रही है। नगर निगम और जिला प्रशासन मिलकर मौत के आंकड़े जो आम जनता के सामने छुपाने में लगा है वो वताएं।

किशोर कोडवानी ने आगे बताया कि आम जनता को अंधेरे में ना रखा जाए जिसे जिला प्रशासन और राज्य शासन से मांग की गई है कि कोरोना का इलाज पारदर्शी तरीके से हो। जाते वक्त समय समय पर हो चुकी की भी जानकारी आम जनता को मिले साथ ही इलाज पर हो रहे खर्च से भी जनता को पहले से अवगत कराया जाना चाहिए। इन सब बातों को लेकर एक जनहित याचिका आज मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खण्डपी में दायर की गई है जिस पर जल्द ही सुनवाई होगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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