शुक्रिया ‘अज्ञात हमलावर’…सरबजीत सिंह को कुछ तो इंसाफ मिला है, रणदीप हुड्डा ने अमीर सरफराज की हत्या के बाद किया पोस्ट

रणदीप हुड्डा ने अपने पोस्ट में दलबीर कौर को भी याद किया, उन्होंने लिखा "मुझे बहन दलबीर कौर की भी याद आ रही है, पूनम और स्वप्नदीप को मैं प्यार भेजता हूं....

Bhawna Choubey
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सरबजीत सिंह की हत्या के आरोपी अमीर सरफराज ऊर्फ तांबा की अज्ञात बंदूकधारियों के द्वारा रविवार को लाहौर के इस्लामपुर इलाके में हत्या कर दी गई। तनबा को 2013 में लाहौर के कोट लखपत जेल में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के पीछे एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता था। आमिर सरफराज में ISI के इशारों पर पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या की थी। सरबजीत पंजाब के रहने वाले थे, उन्हें पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में पाकिस्तान सेना द्वारा पकड़ा गया था।

रविवार के दिन लाहौर के इस्लामपुर इलाके में अपने घर के बाहर खड़े रहने के दौरान आमिर तांबा की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तांबा को कई गोलियां लगी और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अमीर सरफराज को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी माना जाता था। सरफराज लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था और उसने कई आतंकी गतिविधियों में भाग लिया था।

रणदीप हुड्डा ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा

अभिनेता रणदीप हुड्डा ने 2016 में फिल्म सरबजीत में सरबजीत सिंह की भूमिका निभाई थी। उन्होंने सरफराज की हत्या पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “कर्म हमेशा वापस लौटकर आता है, भले ही वह अज्ञात लोगों के माध्यम से ही क्यों ना हो”। हुड्डा ने यह भी कहा, कि उन्हें उम्मीद है कि सिंह के परिवार को अब कुछ ना कुछ शांति जरूर मिली होगी। उन्होंने अज्ञात हमलावर को शुक्रिया कहते हुए लिखा, “मुझे अपनी बहन दलबीर कौर की याद आ रही है। पूनम और स्वप्नदीप को मैं प्यार भेजता हूं”। सरबजीत सिंह को कुछ तो इंसाफ मिला है।


आपको बता दे, रणदीप सरबजीत की बहन दलबीर कौर के अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए थे, साल 2022 में दलबीर कौर का निधन हो गया था। तनबा की हत्या को सिंह की हत्या के लिए बदला माना जा रहा है। हत्या के बाद लाहौर में तनाव फैल गया है और पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है।

कौन थे सरबजीत सिंह

सरबजीत सिंह एक भारतीय किसान थे जो भारत पाकिस्तान सीमा के पास बठिंडा पंजाब में रहते थे। 30 अगस्त 1990 को वे गलती से पाकिस्तान सीमा पार कर गए और उन्हें पाकिस्तान सुना ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर पाकिस्तान में हुए कई बम धमाकों जिनमे लाहौर, मुल्तान और फैसलाबाद में हुए विस्फोट का आरोप लगाया गया था। 1999 में पाकिस्तानी अदालत में उन्हें इन धमाकों का दोषी ठहराया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि सरबजीत सिंह और उनके परिवार ने हमेशा इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। उनका हमेशा यही कहना था कि सरबजीत को पाकिस्तान सेना ने गलत तरीके से पकड़ा था और उन्हें अपराध स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया और भारत सरकार ने सरबजीत सिंह की रिहाई और उनकी सुरक्षा के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला। कई सालों की कूटनीतिक कोशिशों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत सिंह को फांसी की सजा से राहत दी। साल 2013 को कोट लखपत जेल में आमिर तांबा ने उन पर हमला कर दिया जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई।


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