जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने शिक्षा विभाग (Education Department) को 2 मामलों में नोटिस (notice) जारी किया है। दरअसल कोर्ट ने बार-बार ट्रांसफर (Transfer) करके कर्मचारी (Employees) को परेशान करने के मामले में शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है। इस मामले में शिक्षा विभाग के असिस्टेंट ग्रेड के पद पर कार्यरत रणेश गौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि उनके मूल विभाग में पदस्थापना नहीं देकर उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता राकेश सिंह ने कहा कि सबसे पहले कर 30 अगस्त 2021 को है शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय से तबादला देकर विकास खंड शिक्षा अधिकारी गोटेगांव किया गया। हालांकि कुछ दिनों के बाद ही उन्हें हाय को स्कूल भेज दिया गया। इसके 1 महीने बाद 14 दिसंबर को उन्हें वापस विकास खंड शिक्षा अधिकारी और उसके बाद 13 जनवरी 2022 को उत्कृष्ट विद्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया।
वही याचिकाकर्ता रणेश गौर का कहना है कि जब उनका मूल विभाग ब्लॉक एजुकेशन है तो उन्हें वहीं पदस्थापना दी जानी चाहिए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि बिना किसी कारण बताएं शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी का तबादला कैसे कर दिया गया है। इस मामले में सुनवाई 1 सप्ताह बाद की जाएगी। जिसमें सरकार से निर्देश प्राप्त है जवाब पेश करने के निर्देश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को दिए हैं।
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वहीं दूसरी तरफ एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी क्रमोन्नति पर बड़ा आदेश जारी किया है। दरअसल याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी राजेश शर्मा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि उच्च श्रेणी शिक्षक को प्रमोशन देने से इनकार किया गया है। इस मामले में अधिवक्ता सचिन पांडे ने दलील पेश की। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता उच्च श्रेणी शिक्षक है, 24 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है।
वही पदोन्नति नहीं दिए जाने के बाद दूसरी क्रमोन्नति के लाभ से उन्होंने वंचित किया गया है। मनमाने तरीके सेवा पुस्तिका में कटौती के आदेश जारी कर वेतन में राशि कटौती के भी आदेश जारी कर दिए गए हैं। जो कि नियम के विरुद्ध है। मामले की सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने क्रमोन्नति का लाभ प्रदान करने के आदेश जारी कर दिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि पदोन्नति का लाभ न लिए जाने पर क्रमोन्नति का लाभ दिया जाना जरूरी है। वहीं इस मामले में जबलपुर जिला शिक्षा अधिकारी को हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि 2 महीने के भीतर उच्च श्रेणी शिक्षक को क्रमोन्नति का लाभ दिया जाए। वही समय सीमा के अंदर यदि क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया जाता है तो उन्हें 9% ब्याज की दर से एरियर्स का भुगतान करना होगा।