भोपाल डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ के कार्यालय के समक्ष रविवार को प्रदेश के कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों ग्रंथपालो और क्रीड़ा अधिकारियों ने सांकेतिक धरना दिया। इनका कहना है कि विभाग उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है और लंबे समय से उठाए गए न्यायोचित मुद्दों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर भोपाल में लामबंद हुए और एक दिन का सांकेतिक धरना दिया।
इस धरने का आयोजन प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ के आह्वान पर किया गया था। संघ के प्रांत अध्यक्ष डॉ कैलाश त्यागी और महासचिव आनंद शर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए समस्याओं के बारे में बताया। 2009 के बाद प्राध्यापकों की वरिष्ठता सूची जारी नहीं की गई है। सह प्राध्यापक ,प्राध्यापक और प्राचार्य के पद पर पदोन्नति और कैरियर प्रोन्नति एक दशक से समय से नहीं की गई है जबकि यूजीसी के नियमों में इसका प्रावधान है। इसके चलते हजारों शिक्षको का कैरियर बर्बाद हो गया है।
महिला प्रताड़ना की शिकायतों पर भी विभाग का रवैया सुस्त और आश्चर्यजनक है। विभाग अपने ही द्वारा जारी आदेश को कई बार त्रुटि पूर्ण बनाकर निरस्त या संशोधित कर देता है। न्यायालयों के निर्णय के बाद भी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। इन सब से प्रताड़ित होकर एक दिवसीय धरना दिया गया है। लेकिन यदि इसके बाद भी विभाग की नींद नहीं खुली तो शिक्षक भविष्य में और अधिक उग्र आंदोलन करने की रणनीति पर भी विचार करेंगे।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
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दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)