जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने कर्मचारी (MP Employee) के हित में बड़ा कदम उठाया गया है। वहीं राज्य शासन को नोटिस जारी कर पेंशन (Pension) रोके जाने को लेकर जवाब तलब किया गया है। दरअसल हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सजा के खिलाफ अपील लंबित होने के बावजूद पेंशन रोके जाने पर सख्ती दिखाई है। प्रोविजनल पेंशन (provisional pension) रोके जाने को लेकर राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति नंदिता दुबे के एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील पेश की। अधिवक्ता ओम शंकर विनय पांडे और अंचन पांडे ने याचिकाकर्ता 70 वर्षीय गोपाल प्रसाद की ओर से पक्ष रखते हुए दलील दी कि याचिकाकर्ता बरेली रायसेन के निवासी है। 2013 में मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक नर्मदा पुरम से सेवानिवृत्त हुए हैं।
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सेवा के दौरान के खिलाफ गलत तरीके से लोन स्वीकृत करने की शिकायत सामने आई थी। जिनके आधार पर पुलिस द्वारा धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अदालत द्वारा सुनाई गई थी। जिसके खिलाफ अपील भी दायर की गई है और याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा भी है।
इस दौरान दलील देते हुए वकील ने जानकारी दी कि 2017 में विभाग ने पेंशन फंड जमा करने के लिए अनुबंध किया था। जिसके बाद पेंशन दिए जाने का भरोसा भी दिलाया गया था। इस आधार पर याचिकाकर्ता ने पेंशन फंड जमा कर दिया। हालांकि अब विभाग द्वारा कहा जा रहा है कि याचिकाकर्ता को अदालत से सजा हो चुकी है। अतः उन्हें पेंशन नहीं दी जा सकती।
मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से विभाग को कई बार आवेदन भी दिए गए लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। वही वकील ने कहा कि जब याचिकाकर्ता पर लगे आरोप कदाचार की श्रेणी में नहीं आते और उन पर विभागीय जांच भी नहीं हुई थी। ऐसी स्थिति में उनके प्रोविजनल पेंशन को रोका जाना अनुचित है। जिस पर अब राज्य शासन को नोटिस जारी कर हाई कोर्ट में जवाब तलब किया गया है।